अर्जुन को श्रीकृष्ण ने कुरुक्षेत्र में दिया था गीता का उपदेश

धर्म/अध्यात्म कुरूक्षेत्र भारत के हरियाणा राज्य का एक प्राचीन शहर है। कुरूक्षेत्र की ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक विरासत का महत्व इसी से लगाया जा सकता है कि कौरवों एवं पाण्डवों के मध्य कुरूक्षेत्र का ऐतिहासिक युद्ध लड़ा गया जिसमें श्रीकृष्ण ने अर्जुन को गीता का उपदेश देकर कर्म दर्शन का महत्व समझाया था। मनुस्मृति की रचना यहीं पर की थी। इस स्थान की प्राचीनता का बोध इसी से होता है कि ऋग्वेद एवं यजुर्वेद में अनेक स्थानों पर इस स्थल का वर्णन किया गया है। साथ ही पुराणों, स्मृतियों एवं वेद व्यास द्वारा रचित महाभारत महाकाव्य में भी इस स्थल का वर्णन आया है। हिन्दुओं का यह प्रमुख तीर्थ स्थल 1530 वर्ग किलीमीटर क्षेत्रफल में फैला हुआ है, जिसमें कुरूक्षेत्र के साथ-साथ कैथल, करनाल, पानीपत एवं जिन्द क्षेत्र शामिल हैं। बताया जाता है कि कौरवों एवं पाण्डवों के कुरू ने यहां तालाब खुदवाया था और उसी के नाम पर इस क्षेत्र का नाम कुरूक्षेत्र रखा गया। यहां अनेक दर्शनीय स्थल होने से कुरूक्षेत्र पर्यटकों के आकर्षण का केन्द्र है।ज्योतिसर कुरूक्षेत्र-पहोवा मार्ग पर थानेसर से 5 किलोमीटर पश्चिम में स्थित है। बताया जाता है कि ज्योतिसर में ही भगवान कृष्ण ने अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था। यहां स्थानानेश्वर नामक शिव मंदिर का भी अपना महत्व है जहां कृष्ण ने अर्जुन के साथ शिव की उपासना कर युद्ध में विजय होने का आशीर्वाद प्राप्त किया था। यह शिव का मंदिर कश्मीर के शासक ने बनवाया था। इस मंदिर की दीवार से लगा हुआ गुरूद्धारा भी दर्शनीय है। इस स्थान का पता सर्वप्रथम 9 वीं शताब्दी में आदि शंकाचार्य ने लगाया था जब वह हिमालय की यात्रा पर थे। इस जगह पर एक मूर्ति बनी है जिसमें श्रीकृण रथ पर सवार होकर सारथी के स्थान पर खड़े हैं और अर्जुन को गीता का उपदेश दे रह हैं एवं अर्जुन हाथ जोड़े हुए विनम्रतापूर्वक खड़े हुए हैं। इस मूर्ति को 1967 में कांची कामा कोटि पीठ के शंकराचार्य द्वारा बनवाया गया था। यहां सायंकाल ध्वनि एवं प्रकाश का कार्यक्रम आयोजित किया जाता है।