हजरत मिर्जा गुलाम अहमद साहिब कादियानी का जन्म कादियान (गुरदासपुर) में 1835 ई. को हुआ। आपने इस्लाम पर हो रहे हमलों का जवाब बराहिने अहमदिया नामक पुस्तकों की शृंखला प्रकाशित कर तर्क के साथ दिया। आपने इस्लाम धर्म में व्याप्त धार्मिक कुरीतियों को समाप्त करने के लिए कार्य किया। आप हजरत मोहम्मद साहिब के सच्चे अनुयायी हैं जो इस्लाम की शिक्षाओं के अनुरूप पथभ्रष्ट लोगों के सुधार के लिए आए हैं, इस दावे का ऐलान होने पर कुछ लोगों ने आपकी शिक्षाओं को स्वीकार कर लिया किन्तु कुछ ने आपकी सत्यता पर संदेह करते हुए प्रमाण मांगा।
इस पर मिर्जा गुलाम अहमद साहिब ने ईश्वर से अपनी सत्यता की फरियाद की इस पर ईश्वर ने कहा कि तुम्हारी मनोकामना होशियारपुर में पूर्ण होगी इसलिए वह 22 जनवरी, 1886 को होशियारपुर पहुंचे और 40 दिन तक शहर के बाहर स्थित एक इमारत में उपासना की जिसके परिणामस्वरूप ईश्वर ने भविष्यवाणी करते हुए कहा कि 9 साल के भीतर तुम्हें एक पुत्र रत्न की प्राप्त होगी जो बहुत-सी विशेषताओं से सम्पन्न होगा। भविष्यवाणी को आपने 20 फरवरी, 1886 ई. में प्रकाशित करवाया। इसके अनुसार बटाला के समीप कादियान स्थित आपके घर में 12 जनवरी, 1889 को बेटे ने जन्म लिया जिसका नाम बशीरुद्दीन महमूद रखा गया।