करणी माता मंदिर, जहां पैर घसीटकर चलते हैं भक्त, मिलता है चूहों का जूठा प्रसाद

इस मंदिर में माता के दर्शन के लिए भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है। माना जाता है कि यदि किसी भक्त के पैर के ऊपर से चूहा गुजर जाए, तो ये उसपर माता की कृपा का संकेत माना जाता है। लेकिन वहीं, अगर कोई चूहा गलती से किसी व्यक्ति के पांव के नीचे आ जाता है, तो इसे पाप समझा जाता है, इसलिए लोग यहां पैर घसीटकर चलते हैं। इन चूहों को भोग लगाया जाता है, जिसे प्रसाद के रूप में ग्रहण करना बहुत ही शुभ माना जाता है।

भारत में ऐसे कई मंदिर मौजूद हैं जो अपनी रहस्यमयी बातों को लेकर लोगों के बीच काफी प्रचलित हैं। आज हम आपको राजस्थान के बीकानेर में स्थित एक ऐसे ही रहस्यमयी मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं जो लोगों के बीच आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। इस मंदिर का इतिहास भी काफी रोचक है तो चलिए जानते हैं इस रहस्यमयी मंदिर के बारे में।

मंदिर में मौजूद इन चूहों को काबा भी कहा जाता है, जो मंदिर परिसर में स्वतंत्र रूप से घूमते रहते हैं। सभी चूहों में से, सफेद चूहों को विशेष महत्व दिया जाता है, क्योंकि उन्हें करणी माता के बेटों का अवतार माना जाता है। इसके पीछे एक कथा प्रचलित है, जिसके अनुसार, करणी माता के सौतेले बेटे का नाम लक्ष्मण था। एक दिन सरोवर से पानी पीने की कोशिश करते हुए लक्ष्मण उसमें डूब गया, जिस कारण उसकी मृत्यु हो गई।

इससे दुखी होकर करणी माता ने यम देवता से प्रार्थना करते हुए कहा कि वह उनके पुत्र को पुनः जीवित कर दें। तब यमराज  उनकी विनती मान लेते हैं और न केवल लक्ष्मण बल्कि करणी माता के सभी बच्चों को चूहों के रूप में पुनः जीवित देते हैं। इसलिए इन चूहों को करणी माता की संतान या वंशज के रूप में देखा जाता है।

इस मंदिर में माता के दर्शन के लिए भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है। माना जाता है कि यदि किसी भक्त के पैर के ऊपर से चूहा गुजर जाए, तो ये उसपर माता की कृपा का संकेत माना जाता है। लेकिन वहीं, अगर कोई चूहा गलती से किसी व्यक्ति के पांव के नीचे आ जाता है, तो इसे पाप समझा जाता है, इसलिए लोग यहां पैर घसीटकर चलते हैं। इन चूहों को भोग लगाया जाता है, जिसे प्रसाद के रूप में ग्रहण करना बहुत ही शुभ माना जाता है।