स्वामी प्रसाद मौर्य को बहिष्कार करने की मांग

पूर्व कैबिनेट मंत्री और सुभासपा प्रमुख ओमप्रकाश राजभर ने श्री रामचरितमानस पर छिड़े विवाद को लेकर सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्या के बहिष्कार की मांग की है। उन्होंने कहा कि जब स्वामी प्रसाद  बसपा सरकार में सत्ता का सुख भोग रहे थे तब उन्हें रामचरित मानस की चौपाई क्यों याद नहीं आई। तब वो रामचरित मानस पर फूल माला चढ़ाकर आरती उतारते रहे और पिछड़े- दलितों की आदि की याद उन्हें नहीं आई। अब जब सत्ता से बेदखल हो गए तो मानस के प्रसंग याद आने लगे। ऐसे नेताओं का बहिष्कार होना चाहिए।

वाराणसी के मिर्जामुराद क्षेत्र के नागेपुर गांव में मीडिया से बात करते हुए राजभर ने  मोहन भागवत के बयान का समर्थन किया। उन्होंने कहा कि यह सच है कि जातियों को भगवान ने नहीं बनाया। आज के दौर के नेता ऐसे हैं कि चुनाव आते ही उन्हें जातियों की याद आने लगती है। जब चुनाव नहीं होते तो उन्हें कोई मतलब नहीं होता।

रामचरित मानस पर विवादित टिप्पणी करने वाले स्वामी प्रसाद मौर्य पर हमलावर राजभर ने कहा कि किसी मजहब या धर्म के खिलाफ कोई इस तरह की हरकत करता है, तो उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए। संविधान में सभी धर्म को अपने-अपने तरीके से मानने का अधिकार है।

नशा मुक्त उत्तर प्रदेश बनाना है सपना

एक सवाल के जवाब में ओमप्रकाश राजभर ने कहा की कि हमारे संविधान में वर्ण की व्यवस्था बनाई गई है। उसी के तहत आज के जनप्रतिनिधि संविधान का संकल्प लेते हैं लेकिन अनुसरण नहीं कर रहे। हम देश की आधी आबादी को आगे बढ़ने देखना चाहते हैं। इसके लिए शिक्षा जरूरी है।

अब हमारी पार्टी के बैनर तले महिलाओं ने अपने अधिकार के लिए आंदोलन शुरू कर दिया है। इसका सकारात्मक परिणाम जरूर आएगा। मेरा सपना नशा मुक्त उत्तर प्रदेश बनाना। इसके लिए सतत प्रयास जारी है।

यह पूछे जाने पर की सरकार में रहते हुए इन मुद्दों पर काम क्यों नहीं हुआ। इस पर राजभर ने कहा की मंत्री रहते हुए भी जनहित के मुद्दों पर हमारी लड़ाई जारी रही। लड़ाई की धार को देखकर हाईकमान को हस्तक्षेप करना पड़ा। बात नहीं बनी को हमने सत्ता को नमस्कार कर दिया। ओपी राजभर वाराणसी के मिर्जामुराद में निजी कार्यक्रम में हिस्सा लेने आए थे।