चंद्रयान-2 की लॉन्चिंग के 3 साल 11 महीने और 23 दिन बाद भारत आज चंद्रयान-3 मिशन लॉन्च करेगा। दोपहर 2 बजकर 35 मिनट पर आंध्र प्रदेश में श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर से एलवीएम3-एम4 रॉकेट के जरिए इसे स्पेस में भेजा जाएगा। चंद्रयान-3 स्पेसक्रॉफ्ट के तीन लैंडर/रोवर और प्रोपल्शन मॉड्यूल हैं। करीब 40 दिन बाद यानी 23 या 24 अगस्त को लैंडर और रोवर चांद के साउथ पोल पर उतरेंगे।
साउथ पोल पर ही क्यों उतरेगा लैंडर?
अभी तक कोई देश यहां नहीं पहुंचा है। चंद्रयान-1 मिशन के दौरान साउथ पोल में बर्फ के बारे में पता चला था। यहां सूरज की रोशनी कभी नहीं पहुंचती। चांद के साउथ पोल में ठंडे क्रेटर्स (गड्ढों में शुरुआती सौर प्रणाली के लुप्त जीवाश्म रिकॉर्ड मौजूद हो सकते हैं। अगर चंद्रयान-3 यहां लैंड करता है तो यह पहली बार होगा।
1.) पृथ्वी की कक्षा में किया जाएगा स्थापित 4 आर्बिट रेजिंग मैनुवर होंगे। इस दौरान चंद्रयान- 3 पृथ्वी की कक्षा में ही चक्कर काटता रहेगा।
2.) चंद्रयान-3 को चांद के प्रक्षेप पथ (ट्रांस लूनर आर्बिट) में स्थापित किया जाएगा। यहां से वह पृथ्वी की कक्षा से निकलकर चांद की कक्षा में स्थापित होने की यात्रा शुरू करेगा।
3.) चंद्रयान-3 को चांद की कक्षा में स्थापित किया जाएगा।
4.) कुल चार मैनुवर होंगे। चंद्रयान-3 को चंद्रमा के 100 किमी वाली वृत्ताकार कक्षा में लाया जाएगा।
5.) चंद्रयान-3 के लैंडर और रोवर से प्रोपल्शन मॉड्यूल को इस चरण में अलग किया जाएगा।
6.) डी-बूस्टिंग चरण में चंद्रयान को चांद के पार उतारने की शुरुआत होगी।
7.) प्री लैंडिंग चरण में लैंडिंग से पूर्व सभी जरूरी पैरामीटर हासिल किए जाएंगे।
8.) यह चरण लैंडर के चांद की सतह पर लैंडिंग का है। लैंडर को अहिस्ते से चंद्र सतह पर उतारने का प्रयास होगा।
9.) यह चरण लैंडर और रोवर के सामान्य कार्य प्रतिपादन से जुड़ा है। सॉफ्ट लैंडिंग के बाद रोवर का निकलना और उसके चारों तरफ चहलकदमी करना।
10.) प्रोपल्शन मॉड्यूल का चंद्रमा की 100 किमी वाली वृत्ताकार कक्षा में चक्कर लगाते हुए तय प्रयोग करेगा।