अर्धसैनिक बलों की विलय योजना तैयार

केंद्रीय अर्धसैनिक बलों की आपसी विलय योजना तैयार कर ली गई है। इसके तहत विभिन्न अर्धसैनिक बलों के ऐसे कर्मियों, जिनकी आयु 40 साल से अधिक है, उन्हें अपनी मूल फोर्स से दूसरे किसी बल में भेजा जा सकता है। सूत्रों के अनुसार, इस योजना का असर देश के सबसे बड़े केंद्रीय अर्धसैनिक बल ‘सीआरपीएफ’ पर पड़ेगा। इस बल की संख्या दूसरी फोर्स के मुकाबले कहीं ज्यादा है।

सीआरपीएफ में 40 साल के पार हो चुकी जनशक्ति को सीआईएसएफ और एसएसबी में भेजा जाएगा। इन्हीं में से कुछ जवानों को सीआरपीएफ की नॉन कॉम्बेट विंग में नई जिम्मेदारी मिलेगी। विलय योजना की शुरुआत इसी साल से हो रही है। पहला बैच परीक्षण के तौर पर रहेगा। इसके अंतर्गत बहुत जल्द दो हजार जवानों को दूसरे बल में भेजे जाने की प्रक्रिया शुरू होगी।

देश में केंद्रीय अर्धसैनिक बलों की संख्या 10 लाख से अधिक है। सीआरपीएफ में ही 3.25 लाख से ज्यादा अफसर और जवान हैं। सरकार चाहती है कि इस बल में, खासतौर पर कॉम्बेट ऑपरेशन में ज्यादा से ज्यादा युवाओं को तरजीह दी जाए।

सूत्रों के अनुसार, पिछले साल सीआरपीएफ में करीब 24 हजार जवान ऐसे थे, जो स्वास्थ्य वजहों से तय मापदंडों पर खरे नहीं उतर सके। इनमें बहुत से जवानों की आयु 45 से अधिक थी। सीआरपीएफ के एक आईजी ने गत वर्ष ही नक्सल क्षेत्र में तैनात करीब आठ सौ जवानों को दूसरी बटालियनों या यूनिट मुख्यालयों पर तैनात करने की सिफारिश की थी।

केंद्रीय गृहमंत्री की बैठक के बाद जो प्रस्ताव तैयार हुआ, उसके तहत सीआरपीएफ और कॉम्बेट ऑपरेशन में भाग लेने वाले बलों के 40 साल से ज्यादा आयु वाले जवानों को नॉन कॉम्बेट विंग में भेजा जाएगा। साथ ही ऐसे जवानों का सीआईएसएफ और एसएसबी में भी विलय होगा।

पिछले दिनों सीआईएसएफ में भी यह योजना बनाई गई थी कि यहां केवल बीस फीसदी पदों पर ही सीधी भर्ती हो। बाकी के अस्सी फीसदी पदों पर दूसरे केंद्रीय बलों से प्रतिनियुक्ति के जरिए कर्मियों को बुलाया जाए।

सूत्र बताते हैं कि सीआईएसएफ ने इस प्रस्ताव पर काम शुरू कर दिया है। प्रतिनियुक्ति के लिए आयु सीमा निर्धारण कितना हो और दूसरे बलों से आने वाले जवानों को कहां पर एवं कौन से पदों पर तैनात किया जाए, इस बाबत जल्द ही नियम बना लिए जाएंगे।