आज है भादो की अमावस्या

धर्म/अध्यात्म (RASHTRA PRATHAM):  भाद्रपद मास में कृष्ण पक्ष की अमावस्या को भाद्रपद अमावस्या कहा जाता है। भाद्रपद मास की अमावस्या को कृष्ण जी को समर्पित किया जाता है। अमावस्या के दिन दान और पितृ तर्पण का बहुत महत्व होता है। अगर यह अमावस्या सोमवार के दिन पड़ती है और सूर्यग्रहण भी होता है तो इस अमावस्या का महत्व कई गुना ज्यादा बढ़ जाता है।

इस अमावस्या पर कुश (घास) का बहुत महत्व माना जाता है, भादप्रद की अमावस्या को धार्मिक कार्यों जैसे श्राद्ध आदि करने में कुश का उपयोग किया जाता है। इसलिए इसे कुश ग्रहणी अमावस्या भी कहा जाता है। कुछ लोग इसे भादों अमावस्या भी कहते हैं।

पाल बालाजी ज्योतिष संस्थान जयपुर के निदेशक ज्योतिषाचार्य अनीष व्यास ने बताया कि यह दिन कालसर्प दोष के निवारण के लिए भी उत्तम माना गया है। हिंदू पंचांग के अनुसार भाद्रपद अमावस्या 19 अगस्त को है, इस अमावस्या को पिठौरी व कुशग्रहणी अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार हर अमावस्या पर पितर तर्पण किया जाता है और इसका अपना एक विशेष महत्व होता है। इस दिन मां दुर्गा की पूजा की जाती है। मान्यता है कि इस दिन मां पार्वती ने पिठोरी अमावस्या व्रत का महत्व बताया था। सनातन धर्म में भादो अमावस्या का विशेष महत्व है।