मां भद्रकाली को समर्पित है यह उपवास

धर्म/अध्यात्म (Rashtra Pratham): ज्येष्ठ माह में कृष्ण पक्ष की एकादशी को अचला एकादशी, अपरा एकादशी, भद्रकाली एकादशी और जलक्रीड़ा एकादशी नाम से जाना जाता है। यह उपवास अत्यधिक पवित्र है और मोक्ष प्राप्त करने का उत्तम माध्यम माना जाता है। यह दिन मां भद्रकाली की पूजा के लिए सबसे अनुकूल है। उड़ीसा में इस दिन को जलक्रीड़ा एकादशी के रूप में मनाया जाता है।

यह भगवान जगन्नाथ को समर्पित है। अतीत और वर्तमान में हुए पाप को दूर करने के लिए इस व्रत का पालन करना चाहिए।मान्यता है कि ज्येष्ठ माह में कृष्ण पक्ष एकादशी को माता भद्रकाली प्रकट हुईं। यह भी माना जाता है कि प्रभु श्रीराम से हनुमान जी की मुलाक़ात भी ज्येष्ठ माह में ही हुई थी। इस एकादशी पर उपवास कर भगवान विष्णु की आराधना करने से समस्त पापों से मुक्ति मिलती है। इस व्रत के प्रभाव से प्रेत बाधा कभी परेशान नहीं करती। घर में धन-धान्य की कमी नहीं होती है। एकादशी के दिन सुबह नित्यकर्म के बाद नए वस्त्र धारण कर पूजा करें। मन की सात्विकता का विशेष ध्यान रखें। विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें। एकादशी की रात्रि में जागरण अवश्य करें। इस व्रत में सत्संग में अपना समय व्यतीत करें। द्वादशी के दिन सुबह ब्राह्मणों को अन्न दान व दक्षिणा देकर व्रत को संपन्न करना चाहिए।