भगवती चामुण्डा की प्राकट्य स्थली कटरा की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि

धर्म/अध्यात्म (Rashtra Pratham): मुजफ्फरपुर जिलान्तर्गत कटरा प्रखंड स्थित माता चामुण्डा शक्तिपीठ, भारतीय संस्कृति और महिला सशक्तिकरण का ध्वजवाहक रहा है । यह शक्तिपीठ कटरा प्रखंड के बागमती नदी एवं लखनदेई नदी के संगम पर अवस्थित है ।

ऐसी मान्यता है कि सतयुगकालीन समय में कटरा की भूमि पर राजा चंड और मुंड जो दैत्य समाज के शक्तिशाली राजा हुआ करते थे, भगवती चामुंडा के अनन्य सेवक थे ।

भगवती चामुण्डा अभी भी पिंड स्वरूप में विद्यमान हैं । उन दोनों भाईयों के अत्याचार, अनाचार और व्यभिचार से जनमानस त्राहिमाम कर रही थी । इन राजाओं के अनाचार की समाप्ति के लिए भगवती स्वयं प्रकट होकर इनका वध किया और मानवीय जीवन की रक्षा की । ऐसा कहा जाता है कि त्रेतायुग में राजा निमी की कुल देवी भगवती चामुण्डा ही थी । माता चामुण्डा जो महाराज मीथी, जनक और सिरध्वज की कुल देवी थी की भव्य मंदिर का निर्माण कराया ।

मिथिला राज्य के राजा सिरध्वज ने कटरा नगर की स्थापना की । 13 वीं शताब्दी में सेनवंशीय राजा चन्द्रसेन द्वारा भगवती चामुंडा की भव्य मंदिर का निर्माण कराया गया ।

कालांतर में प्राकृतिक आपदा के कारण कटरा नगर भूजल एवं भूगर्भ में समाहित हो गया । 15 वीं शताब्दी में बादशाह अकबर के शासन काल में कटरा गढ़ की खुदाई की गई जहाँ माता चामुंडा की पिंड विद्यमान थी । पिंड मिलने के बाद पुनः भगवती की पूजा, अर्चना और अराधना प्रारम्भ हुई । फलस्वरूप कटरा को अकबरपुर नाम से भी ख्याति मिली जो बाद में अकबरपुर कटरा तुंड और वर्तमान में कटरा के नाम से प्रसिद्ध हुआ । 1975 ई० में पुनः कटरा गढ़ पर चामुण्डा मंदिर का निर्माण किया गया । तत्पश्चात मंदिर के गर्भ गृह में प्राचीन भगवती की पिंड, भगवती काली एवं भगवान सूर्यदेव के विग्रह को वैदिक रीति से स्थापित किया गया । बिहार धार्मिक न्यास परिषद को मंदिर की रख-रखाब एवं सुरक्षा की जिम्मेदारी सौंपी गई । ऐसी मान्यता है कि भगवती चामुण्डा सोमवार, बुधवार और शुक्रवार को जागृतावस्था में मौजूद रहती है जिसके कारण भक्तजनों एवं श्रद्धालुओं की भारी भीड़ जमा होती है । इन दिनों श्रद्धालुओं द्वारा मनोकामना पूर्ति हेतु भगवती की विधानपूर्वक पूजा की जाती है । चंड-मुंड विनासिनी माता चामुण्डा की आराधना से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है ।

मिथिला की पावन-भूमि अपनी सांस्कृतिक, आध्यात्मिक एवं गौरवशाली परम्पराओं को लेकर विश्व वंदित है ।

यहाँ की चिंतनधारा, ज्ञानधारा और विचारधारा न केवल मिथिलावासीयों के लिए बल्कि भारतवासीयों के लिए प्रेरणा का तपःस्थली रहा है । नारी शक्ति और सम्मान की मूल स्थली मिथिला की पावन भूमि के गर्भ से भगवती जानकी सदृश पुत्री का जन्म लेना मिथिलावासीयों के लिए गर्व और सम्मान की बात है । हम मिथिलावासी इस पावन भूमि पर जन्म लेकर गौरव का अनुभव करते हैं । भगवती चामुण्डा की प्राकट्य-स्थली स्थली कटरा मिथिलावासीयों के लिए तीर्थस्थली है । अतः इस स्थली को श्रद्धावत नमन-वंदन-स्तवन करके हम मिथिलावासी सौभाग्यशाली अनुभव करते हैं ।