धर्म/अध्यात्म (Rashtra Pratham): हम बिना गुस्सा किए शांत क्यों नहीं रह सकते। गुस्से की बात पर गुस्सा न होना और शांत रहना ही योग है। जो व्यक्ति गुस्सा रहने की प्रवृत्ति को त्याग देगा अथवा इस पर रूप से आप अपने लक्ष्य को पाने में कामयाब रहेंगे।
अशांत रहना, गुस्सा करना, चीखना, चिल्लाना, जलना आदि केवल हमारे मन के गुब्बार को ही परिलक्षित करते हैं। दरअसल यह हमारे व्यक्तित्व या पहचान में काला धब्बा होते हैं। साथ ही हमारे चेहरे पर चिंता की रेखाएं खींच देते हैं।वहीं अगर हम शांत रहेंगे तो स्वयं अनुभव करेंगे कि हमारा जीवन कितना निर्मल हो गया है।
हमें इस दुनिया की प्रत्येक वस्तु में एक अलग ही तरह की ताजगी और प्रफुल्लित प्राप्त होगी। शांत रहने की वृत्ति को सफलतापूर्वक अपनाने के लिए हम लोगों को किसी विशेष प्रतिनिधि की जरूरत नहीं होती। हम अगर शांत रहने की प्रवृत्ति को अपनाना चाहते हैं तो सर्वप्रथम एकांत में बैठकर यह आस्था रखें कि मुझे शांत रहना है। साथ ही दृढ़ संकल्प लें कि मुझे उबाल नहीं लाना है। यही आसान सा एक तरीका है कि जिससे हम अपने मन को शांत कर सकते हैं।