शांत व्यवहार लक्ष्य पाने का सबसे आसान साधन

धर्म/अध्यात्म (Rashtra Pratham):  हम बिना गुस्सा किए शांत क्यों नहीं रह सकते। गुस्से की बात पर गुस्सा न होना और शांत रहना ही योग है। जो व्यक्ति गुस्सा रहने की प्रवृत्ति को त्याग देगा अथवा इस पर विजय पा लेगा तो उसे दुनिया कहीं अधिक सुंदर और लुभावनी लगेगी। किसी ने कहा है कि अगर आप शांत रहने का अभ्यास करते हैं तो फिर निश्चित रूप से आप अपने लक्ष्य को पाने में कामयाब रहेंगे।अशांत रहना, गुस्सा करना, चीखना, चिल्लाना, जलना आदि केवल हमारे मन के गुब्बार को ही परिलक्षित करते हैं।

दरअसल यह हमारे व्यक्तित्व या पहचान में काला धब्बा होते हैं। साथ ही हमारे चेहरे पर चिंता की रेखाएं खींच देते हैं।वहीं अगर हम शांत रहेंगे तो स्वयं अनुभव करेंगे कि हमारा जीवन कितना निर्मल हो गया है। हमें इस दुनिया की प्रत्येक वस्तु में एक अलग ही तरह की ताजगी और प्रफुल्लित प्राप्त होगी।

शांत रहने की वृत्ति को सफलतापूर्वक अपनाने के लिए हम लोगों को किसी विशेष  प्रतिनिधि की जरूरत नहीं होती। हम अगर शांत रहने की प्रवृत्ति को अपनाना चाहते हैं तो सर्वप्रथम एकांत में बैठकर यह आस्था रखें कि मुझे शांत रहना है। साथ ही दृढ़ संकल्प लें कि मुझे उबाल नहीं लाना है।

यही आसान सा एक तरीका है कि जिससे हम अपने मन को शांत कर सकते हैं।जब आप शांत रहने का मार्ग अपनाना शुरू करेंगे तो यह दुनिया जरा अलग सी दिखने लगेगी। साथ ही आपको एक अलग ही आनंद भी मिलेगा। आपके चेहरे पर नई चमक भी आ जाएगी। आप जो भी कार्य करेंगे उसमें नया उत्साह हृदय में निर्मलता और शीतलता का अनुभव करेंगे। पाचन क्रिया स्वयं ठीक हो जाएगी। यह सभी बिना किसी परिश्रम के बिना किसी खर्च के उपचार के संभव हो जाएगा। शांति को वास्तविक रूप में करने के लिए सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि हम अपने अंदर संकल्प करें कुछ भी हो जाए हमें हर हाल में शांत ही रहना है।