सीता नवमी

धर्म/अध्यात्म (Rashtra Pratham): हिन्दू पंचांग के अनुसार, माता सीता का प्राकट्य त्रेतायुग में वैशाख शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को हुआ था। इस बार सीता नवमी 2 मई को है। 1 मई को प्रात: 8.26 मिनट में नवमी तिथि प्रारंभ होगी जो दो मई को सुबह 6.37 मिनट तक रहेगी। आपको बता दें कि सीता जी को त्रेतायुग में लक्ष्मी का अवतार माना जाता है।

भगवान शिव का धनुष तोड़कर विष्णुजी के अवतार श्रीराम ने स्वयंवर में सीता का वरण किया था। इसके बाद उन्होंने पतिव्रत धर्म निभाया और वनवास में भी अपने पति के साथ गईं। सीता नवमी पर उनकी पूजा विशेश लाभ दायी होती है। इस दिन मंदिरों में विशेष कीर्तन होते हैं। वहीं इस बार कोरोना वाययरस लॉकडाउन के कारण लोग घर पर रहकर ही माता सीता नवमी मनाएंगे और व्रत रखेंगे। सीता नवमी पर बहुत से लोग व्रत रखते हैं। ऐसा कहा जाता है कि इस दिन व्रत रखने से सभी तीर्थों के दर्शन का फल मिलता है।

ऐसी भी मान्यता है कि इस दिन जो लोग व्रत रखते हैं उन्हें सभी सुख  मिलते हैं और उनके दुख कट जाते हैं। इस दिन माता जानकी के साथ भगवान राम की भी पूजा की जाती है। सीता जी मिथिला नरेश राजा जनक की पुत्री थीं। एक बार जब मिथिला में सूखा पड़ा तो बहुत बड़े यज्ञ करवाए गए। इसके बाद जब महाराा जनक हल चलाने लगे तो उन्हें जमीन में से एक संदूक मिला, जिसमें एक सुंदर कन्या थी। राजा के कोई संतान नहीं थी तो राजा ने उस बच्ची को अपनी पुत्री के रुप में पाला और सीता का नाम दिया।