धर्म/अध्यात्म (Rashtra Pratham): ओरछा उत्तर भारत के टीकमगढ़ जिले का राजा राम मंदिर ओरछा दुनियाभर में अपने वैभव के लिए मशहूर है। राजा राम मंदिर की एक दिलचस्प कहानी आज भी कई लोगों की जुबां से सुनने को मिलती हैं। कहा जाता है कि भगवान राम जी एक बार महारानी की जिद के आगे झुक गए थे और भगवान राम ने एक शर्त पर जिद पूरी की थी। दरअसल शर्त पूरी होने के बाद भगवान राम ओरछा आए थे। इसके बाद से दुनियाभर के भक्त भगवान राम को ओरछा में राजा राम के रुप में भगवान राम की पूजा करते हैं। इसी कारण इस मंदिर में यहां राम की पूजा भगवान के रुप में नहीं बल्कि राजा के रुप में पूजा होती है।
राजा राम के ओरछा में विराजने की एक प्राचीन कथा आज भी प्रचलित है। दरअसल महाराजा मधुकरशाह ने अपनी पत्नी गणेशकुंवरी से वृंदावन साथ चलने के लिए कहा, मगर महारानी तो भगवान राम की भक्ति में लीन रहती, इसलिए उन्होंने जाने से मना कर दिया। महाराजा ने महारानी को तैश में आकर बोल दिया, इतनी रामभक्त हो तो अपने राम को ओरछा ले आओ।
इसके बाद रानी अयोध्या गई और वहां सरयू तट पर साधना शुरु कर दी और वहां संत तुलसीदास से आशीर्वाद पाकर रानी की तपस्या और कठोर हो गई। कई महीनों बाद भी राम जी के दर्शन नहीं हुए तो रानी नदी में कूद गईं, नदी में रामजी के दर्शन हुए, तब रानी ने राम जी को ओरछा चलने के लिए निवेदन किया। भगवान राम ने भी एक शर्त रखी कि ओरछा तो चलेंगे लेकिन तब जब कि वहां उनकी सत्ता और राजशाही है, इसके बाद ओरछा के महाराजा मधुकरशाह ने ओरछा में रामराज की स्थापना की और वह आज भी वैसा ही है।