गंगा सप्तमी के दिन दान-पुण्य से मिलता है विशेष फल

धर्म/अध्यात्म (Rashtra Pratham): हिन्दू धर्म में गंगा सप्तमी का खास महत्व होता है। गंगा सप्तमी के दिन गंगा नदी में स्नान का खास महत्व है तो आइए हम गंगा सप्तमी के महत्व तथा पूजा विधि पर चर्चा करते हैं। बैसाख महीने के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि के दिन गंगा जी अवतरित हुईं थीं। इस साल गंगा सप्तमी 18 मई अप्रैल को है। गंगा पापनाशिनी तथा मोक्षदायक हैं। गंगा नदी में स्नान मात्र से सभी प्रकार के कष्ट दूर हो जाते हैं।

गंगा सप्तमी से जुड़ी एक पौराणिक कथा प्रचलित है। इस कथा के अनुसार गंगा नदी एक बार तीव्र गति से बह रही थी वहीं जह्नु ऋषि तपस्या में लीन और उनका सामान भी रखा हुआ था। गंगा की तेज बहाव के कारण उनका सामान बह गया। जब ऋषि की नींद खुली तो वह बहुत क्रुद्ध हुए और गुस्से में गंगा नदी को पी गए।

इसके बाद भागीरथ ऋषि ने जह्नु ऋषि से प्रार्थना की गंगा को पुनः मुक्त करें। तब जह्नु ऋषि ने भगीरथ की प्रार्थना स्वीकार कर ली और गंगा को मुक्ति प्रदान की। उसके बाद गंगा जह्नु ऋषि के कान से प्रवाहित हुईं। यह घटना बैसाख महीने की सप्तमी तिथि को हुई थीं। इसलिए बैसाख शुक्ल पक्ष सप्तमी को गंगा सप्तमी मनायी जाती है तथा जह्नु ऋषि की पुत्री होने के कारण गंगा को जाह्नवी भी कहा जाता है।