धर्म/अध्यात्म ( RASTRAPRATHAM) : मध्यप्रदेश के इंदौर से 77 किमी दूरी पर भगवान शिव का चौथा प्रमुख ज्योतिर्लिंग ओंकारेश्वर के नाम से जाना जाता है। औंकार यानी ऊं का आकार लिए हुए। इस वजह से यहां भगवान ओंकारेश्वर के रुप में पूजे जाते हैं। ओंकारेश्वर में ज्योतिर्लिंग दो स्वरुपों में ओंकारेश्वर और ममलेश्वर की पूजन होती है।
सावन मास में इस ज्योतिर्लिंग के दर्शन और पूजन का बहुत महत्व है। यही वजह है कि सावन के महीने में ओंकारेश्वर में बड़ी संख्या में भक्त आते हैं। शिव पुराण में ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग को परमेश्वर लिंग भी कहा गया है। धार्मिक मान्यता है कि ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग का सावन मास में नाम भी लिया जाए तो सारी समस्याएं खत्म हो जाती हैं।
पहाड़ी के चारों ओर नदी के बहने से यहां ओम का आकार बनता है। यहां माता नर्मदा दो धाराओं में बंटती हैं, जिसके बीच में एक टापू सा स्थान बनता है। इस टापू को मान्धाता-पर्वत या शिवपुरी कहा जाता है। मंदिर में भगवान के आशीर्वाद के साथ प्रकृति का मनमोहक रुप भी दिखता है। देश-दुनिया से बड़ी संख्या में पर्यटक और श्रद्धालु मंदिर में दर्शन के लिए पहुंचते हैं। हालांकि साल 2020 में कोरोना के चलते कुछ विशेष नियमों का पालन करना जरुरी है।