देवी पुराण के अनुसार भगवती घोड़े पर आएंगी

शारदीय नवरात्र ऐसा अवसर है जब देवी दुर्गा सिंह को छोड़ किसी अन्य सवारी से पृथ्वी पर आती हैं। इसके लिए पंचांगों की गणना, देवीपुराण एवं दुर्गाशप्तसती के आधार पर सवारी का निर्धारण होता है। इस वर्ष आगमन और प्रस्थान दोनों को लेकर अलग-अलग मत सामने आ रहे हैं। बंगीय पंचांगों के अनुसार देवी का आगमन दोला (झूला) पर होगा जबकि देवी पुराण के अनुसार देवी घोड़े पर आएंगी।

घोड़े और झूला दोनों पर ही आगमन हाहाकारी माना गया है। पं. वेदमूर्ति शास्त्री के अनुसार शनिवार से नवरात्र की शुरुआत हो रही है इसलिए देवी का आगमन घोड़े पर और समापन सोमवार को होने से प्रस्थान हाथी पर माना जाएगा। देवीपुराण के अनुसार नवरात्र में देवी के आगमन एवं प्रस्थान को भविष्य में होने वाली घटनाओं के संकेत के रूप में देखा जाता है। घोड़े पर देवी के आगमन को ‘छत्रभंग स्तुरंगमे’ कहा गया है। घोड़े पर देवी का आगमन सर्व समाज के लिए अशुभ माना गया है। सत्ता पक्ष के लिए यह विशेष कष्टप्रद होता है।

पंचांग भेद के कारण देवी के प्रस्थान की सवारी में भेद सामने आ रहा है। कुछ के अनुसार देवी का प्रस्थान हाथी पर होगा तो कुछ भैंसे पर मान रहे हैं। इस दृष्टि से आगमन और प्रस्थान दोनों ही शुभदायक नहीं हैं।