गंगा महोत्सव के दौरान लाखों की संख्या में वाराणसी पहुंचते हैं श्रद्धालु

भगवान शिव की नगरी काशी की अलग ही छटा है। भगवान शिव के त्रिशूल पर विराजमान समूची काशी नगरी यानी वाराणसी में 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक काशी विश्वनाथ भी विराजमान है। गंगा नदी के तट पर बसी काशी में हमेशा ही श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है मगर कार्तिक मास की पूर्णिमा के दिन मनाए जाने वाले गंगा महोत्सव का हिस्सा बनने के लिए पर्यटकों में विशेष उत्साह देखने को मिलता है। गंगा महोत्सव की खासियत है कि ये एक दिन नहीं बल्कि पूरे पांच दिनों का उत्सव होता है। इस वर्ष गंगा महोत्सव की शुरुआत पांच नवंबर को होगी। इस मौके पर नमामि गंगे की ओर से नृत्य नाटिका का मंचन किया जाएगा जिसे देखकर दर्शक मंत्रमुग्ध हो जाएंगे।गंगा महोत्सव के दौरान वाराणसी में गंगा नदी के घाटों की छटा देखने को ही बनती है। सैकड़ों वर्षों पुरानी सभ्यताओं को समेटे हुए काशी धार्मिक दृष्टि से हिंदू धर्म में काफी महत्वपूर्ण है। काशी को धर्म और आध्यात्म की राजधानी भी कहा जाता है। काशी की खासियत है कि उसने देशी और विदेशी पर्यटकों को समान रूप से अपनी ओर आकर्षित किया है। श्रद्धालुओं के लिए काशी की अहमियत आज भी वैसी है जैसी सैंकड़ों वर्षों पूर्व थी। काशी में मणिकर्णिका घाट से लेकर गंगा महोत्सव की गूंज दिखाई पड़ती है, जिसे लेकर श्रद्धालुओं में काफी उत्साह देखने को मिलता है। उसी प्रकार हर वर्ष गंगा महोत्सव में सैंकड़ों श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है। इस मौके पर गंगा नदी में डुबकी लगाने का भी विशेष महत्व होता है।

गंगा महोत्सव के दौरान ना सिर्फ धार्मिक अनुष्ठान होते हैं बल्कि कई सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते है। इस दौरान शहर भर में कई मशहूर कलाकारों द्वारा अपनी कला का प्रदर्शन किया जाता है। कलाकार के अद्भुत प्रदर्शन को देखने के लिए काशीवासी, देशी और विदेशी पर्यटक भी घाटों पर मौजूद होते है, ताकि इस शानदार पल के साक्षी बन सकें।

गंगा घाट पहुंचते हैं लोग

गंगा महोत्सव के दौरान एक नहीं बल्कि गंगा के कई घाटों पर सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। ये कार्यक्रम भारतीय संस्कृति की विरासत प्रदर्शित करते है। गौरतलब है कि गंगा घाट दुनिया भर में अपनी विशेष छाप के लिए जाने जाते है। काशी के घाटों की खासियत है कि यहां के हर घाट का अपना इतिहास और पौराणिक महत्व है। इन पौराणिक महत्व से आम जनता को रूबरू कराने के लिए अब यहां विशेष लेजर शो का आयोजन होता है, जो देश और काशी की ऐतिहासिक परंपरा का बखान करता है। इस मौके पर श्रद्धालु वाराणसी की प्राकृतिक सुंदर और धार्मिक गतिविधियों का अनुभव करने पहुंचते है। बता दें कि गंगा महोत्सव का आयोजन हर वर्ष दिवाली के त्योहार के बाद किया जाता है। घाट पर ये आयोजन इतना भव्य होता है कि दर्शकों की आंखें फटी रह जाती है। गंगा महोत्सव के दौरान गंगा के घाटों पर लाखों की संख्या में दीपक जलाए जाते हैं, जिन्हें एक साथ जलता देखना एक विहंगम दृश्य होता है। इस खास महोत्सव का साक्षी बनने के लिए देश विदेश से पर्यटक इस मौके पर गंगा घाटों पर पहुंचते है। गंगा महोत्सव का आयोजन हर वर्ष काशी की गरिमा और इसके वैश्विक स्तर पर होने वाले महत्व को ध्यान में रखते हुए किया जाता है