10 मार्च को रंगों का त्योहार होली पूरे देश में बड़ी ही धूमधाम के साथ मनाई जाएगी। होली से एक दिन पहले यानी 9 मार्च 2020, सोमवार को होलिका दहन की परंपरा है। होली से पहले होलिका दहन का महत्व बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में मनाया जाता है।होलिका दहन- सोमवार, 09 मार्च 2020
होलिक दहन शुभ मुहूर्त- शाम 06 बजकर 22 मिनट से 08 बजकर 49 मिनट तक
होलिक दहन अवधि- 02 घंटे
भद्रा पुंछा – सुबह 09 बजकर 50 मिनट से 10 बजकर 51 मिनट तक
भद्रा मुखा : सुबह 10 बजकर 51 मिनट से 12 बजकर 32 मिनट तकपूर्णिमा तिथि प्रारंभ- 09 मार्च 2020 को 03. 03 am
पूर्णिमा तिथि समाप्त- 09 मार्च 2020 को 11 . 17 pm
शास्त्रों के अनुसार होलिका दहन की परंपरा भक्त और भगवान के संबंध का अनोखा एहसास है। कथानक के अनुसार भारत में असुरराज हिरण्यकश्यप राज करता था। उनका पुत्र प्रहलाद भगवान विष्णु का अनन्य भक्त था, लेकिन हिरण्यकश्यप विष्णु द्रोही था। हिरण्यकश्यप ने पृथ्वी पर घोषणा कर दी थी कि कोई देवताओं की पूजा नहीं करेगा। केवल उसी की पूजा होगी, लेकिन भक्त प्रहलाद ने पिता की आज्ञा पालन नहीं किया और भगवान की भक्ति लीन में रहा। हिरण्यकश्यप ने पुत्र प्रहलाद की हत्या कराने की कई बार कोशिश की, लेकिन वह सफल नहीं हो पाया तो उसने योजना बनाई। इस योजना के तहत उसने बहन होलिका की सहायता ली। होलिका को वरदान मिला था, वह अग्नि से जलेगी नहीं। योजना के तहत होलिका प्रहलाद को गोद में लेकर अग्नि में बैठ गई, लेकिन भगवान ने भक्त प्रहलाद की सहायता की। इस आग में होलिका तो जल गई और भक्त प्रहलाद सही सलामत आग से बाहर आ गए। तब से होलिका दहन की परंपरा है। होलिका में सभी द्वेष भाव और पापों को जलाने का संदेश दिया जाता है।