दुर्लभ संयोग: 108 वर्षों बाद साल में लगेगा 4 चंद्र व 2 सूर्यग्रहण

108 वर्ष बाद ऐसा संयोग हुआ, जब एक वर्ष में ही चार चंद्रग्रहण और दो सूर्यग्रहण लगने का योग बना है। पहला चंद्रग्रहण 10 जनवरी को लगा था। इस वर्ष का दूसरा चंद्रग्रहण 5 जून को लगेगा, जो उपच्छाया चंद्रग्रहण होगा। ग्रहण रात 11 बजकर 15 मिनट से शुरू होकर दो बजकर 34 मिनट पर समाप्त होगा। तीसरा 5 जुलाई और चौथा चंद्र ग्रहण 30 नवंबर को लगेगा। ये सभी उपच्छाया चंद्र ग्रहण हैं। वहीं, इस वर्ष दो सूर्य ग्रहण लगेंगे।ज्योतिषियों के मुताबिक पहला सूर्य ग्रहण 21 जून को लगेगा, जो भारत में देखा जा सकेगा। दूसरा सूर्य ग्रहण 14 दिसंबर को लगेगा, इसे भारत में नहीं देखा जा सकेगा। सूर्य ग्रहण और चंद्रग्रहण का ऐसा दुर्लभ संयोग 108 वर्षों के बाद बना है।ज्योतिर्विद घनश्याम पांडे ने कहा कि ग्रहण काल के समय खाना-पीना, शोर मचाना या किसी भी प्रकार के शुभ कार्य जैसे पूजा-पाठ आदि नहीं करना चाहिए। ग्रहण काल में गर्भवती महिलाओं को घर से बाहर नहीं निकलना चाहिए। जब ग्रहण समाप्त हो जाए तो तुरंत स्नान कर लेना चाहिए। ग्रहण लगने से पहले ही खाने-पीने की चीजों में तुलसी के पत्ते को डालकर रखना चाहिए। ग्रहण के समय भगवान की मन ही मन आराधना करनी चाहिए और दान-पुण्य करना चाहिए।अखिल भारतीय विद्वत महासभा प्रवक्ता पंडित शरदचंद्र मिश्र ने कहा कि उपच्छाया चंद्रग्रहण में चंद्रमा का कोई हिस्सा नहीं छिपता, बल्कि मटमैला दिखाई देता है, क्योंकि इस ग्रहण को खुली आंखों से नहीं देखा जा सकता इसलिए इसका सूतक काल मान्य नहीं होता। उपच्छाया वाले चंद्र ग्रहण नग्न आंखों से नहीं दिखाई देते। केवल प्रच्छाया वाले ग्रहण का ही सूतक मान्य होता है। इस वर्ष चार चंद्रग्रहण और दो सूर्यग्रहण का संयोग 108 वर्षों बाद बना है।

ज्योतिर्विद मनीष मोहन ने कहा कि धार्मिक मान्यता के अनुसार राहु-केतु को सूर्य और चंद्रमा का दुश्मन माना जाता है। अमावस्या के दिन राहु-केतु चांद को ग्रहण कर लेते हैं। इससे चांद कुछ समय के लिए छिप जाता है। इसे चंद्र ग्रहण कहा जाता है। खगोलशास्त्र के अनुसार है जब पृथ्वी सूर्य की परिक्रमा करते हुए चंद्रमा और सूर्य के बीच में आ जाती है तब चंद्रमा तक सूर्य की किरणें नहीं पहुंच पाती हैं, इसी से चंद्र ग्रहण लगता है।