भारत में श्रीराम भक्त हनुमान जी के कई चमत्कारी मंदिर हैं। जहां हनुमानजी विभिन्न रूप में विराजित हैं। लेकिन राजस्थान के चुरू जिले के सीकर नगर के समीप सालासर बालाजी का काफी प्रसिद्ध और चमत्कारी मंदिर हैं। यहां हनुमानजी बालाजी के रूप में विराजित हैं जो देश भर में दाढ़ी मूंछ वाले हनुमानजी के नाम से प्रसिद्ध हैं। यह देश का सम्भवतः पहला ऐसा मंदिर हैं। जहां हनुमानजी दाढ़ी मूंछ में विराजित हैं। इस मंदिर को लेकर कई मान्यता हैं। यहाँ आने वाले भक्तों का मनाना है कि सालासर बालाजी उनकी हर मुराद पूरी करते हैं। यहां से कोई भी खाली हाथ नहीं लौटाता है।
भक्त की तपस्या से प्रसन्न होकर हनुमानजी ने दिए थे दाढ़ी मूंछ में दर्शन-
सालासर बालाजी धाम को लेकर काफी कथाएं प्रचलित हैं। बताया जाता हैं कि हनुमानजी के एक भक्त मोहनदास ने काफी भक्ति और तपस्या की थी। जिससे प्रसन्न होकर हनुमानजी ने मोहनदास को दाढ़ी मूंछ में दर्शन दिए थे। मोहनदास जी ने बालाजी से इसी रूप में प्रकट होने का वचन मांगा था। जिससे वचन को पूरा करते हुए सालासर बालाजी एक जाट के खेत में प्रकट हुए। जब जाट खेत हल चला रहा था तब उसका हल एक पत्थर से टकराया और उसने पत्थर को साफ करके देखा तो उसमें बालाजी नजर आए। जिसके बाद सालासर में बालाजी यह प्रतिमा स्थापित करने का बालाजी ने सपना दिया। इस तरह सालासर बालाजी धाम से जुडी कई कथाएं प्रचलित हैं।
बालाजी को लगता हैं चूरमे का भोग-
सालासर बालाजी धाम पर बालाजी के भक्त मोहनदास का समाधि मंदिर भी मौजूद हैं। यहां बालाजी को चूरमे का भोग लगता हैं। बताया जाता हैं कि जिस जाट के खेत में बालाजी की प्रतिमा निकली थी। उसकी मन्नत पूरी होने पर बालाजी को चूरमे का भोग लगाया था। जिसके बाद से सालासर बालाजी को चूरमे का भोग लगाया जाता हैं। यहां मन्नत पूरी होने पर भक्त चूरमे का भोग लगाते हैं।