देवों के देव महादेव भगवान शंकर के पूजन का सबसे विशेष दिन शिवरात्रि का होता है। पौराणक मान्यता के अनुसार इस दिन ही भगवान शिव ने निराकार से साकार रूप धारण किया था। इसी दिन भगवान शिव और शक्ति का सम्मिलन हुआ था। इसलिए शिवरात्रि के दिन भगवान शिव के व्रत और पूजन को विशेष रूप से फलदायी माना जाता है। प्रत्येक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि के दिन शिवगण मासिक शिवरात्रि का व्रत रखते हैं। भाद्रपद मास की शिवरात्रि 05 सितंबर, दिन रविवार को पड़ रही है।मान्यता अनुसार मासिक शिवरात्रि कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि के दिन मनाई जाती है। इस माह की चतुर्दशी तिथि 05 सितंबर को सुबह 08 बजकर 23 मिनट पर प्रारंभ हो कर, अगले दिन 06 सितंबर को 07 बजकर 28 मिनट पर समाप्त हो रही है। धर्माचार्यों के अनुसार इस माह की शिवरात्रि का पर्व 05 सितंबर, दिन रविवार को मनाया जाएगा। इस दिन भगवान शिव के पूजन का शुभ मुहूर्त रात्रि 11:57 मिनट से लेकर 06 सितंबर को प्रात: 12:43 मिनट तक है।मान्यता अनुसार शिवरात्रि के दिन भगवान शिव का पूजन दिन भर फलाहार व्रत रख कर किया जाता है। इस दिन प्रातः काल उठकर स्नान आदि से निवृत्त होकर भगवान शिव को जल अर्पित करते हुए व्रत का संकल्प लेना चाहिए। शुभ मुहूर्ति में भगवान शिव का दूध,दही,घी,शहद और गंगा जल से अभिषेक करना चाहिए। इसके बाद भोले शंकर को बेलपत्र,भांग,धतूरा,मदार आदि उनकी प्रिय चीजों का भोग लगाना चाहिए। शिवरात्रि के दिन भगवान शिव का पूजन माता पार्वती के साथ किया जाता है। इस दिन माता पार्वती को बिंदी,चूडियां,लाल चुनरी आदि श्रृगांर का सामना अर्पित किया जाता है। शिवरात्रि पर रात्रि जागरण कर भगवान शिव और पार्वती के मंत्रों का जाप करना विशेष रूप से फलदायी है।