महाराज से वफादारी बनाम सियासी भविष्य: फिक्र में फंसे बागी विधायक

भारतीय जनता पार्टी ने ज्यातिरादित्य सिंधिया को कांग्रेस से छीन लिया है। लेकिन अब मध्य प्रदेश में कमलनाथ सरकार को गिराकर अपनी सरकार बनाने के लिए उसे सिंधिया समर्थक विधायकों को कांग्रेस के खिलाफ एकजुट रखने के लिए जबर्दस्त मशक्कत करनी पड़ रही है। कांग्रेसी संकट प्रबंधकों का दावा है कि उनका कुछ बागी विधायकों से संपर्क हुआ है और उन्हें लगता है कि उनके साथ सियासी धोखा हुआ है। यह जानकारी भाजपा को हो गई है, इसीलिए बागी विधायकों को भोपाल नहीं आने दिया जा रहा है। उधर ज्योतिरादित्य सिंधिया के कदम से कांग्रेस के प्रथम परिवार के तीनों सदस्य सोनिया गांधी राहुल गांधी और प्रियंका गांधी अभी तक भावनात्मक सदमें में हैं। प्रियंका ने तो आखिरी दिन जब सिंधिया प्रधानमंत्री से मिलने जा रहे थे, उसके पहले भी फोन से मनाने की कोशिश की थी।
मुख्यमंत्री कमलनाथ तमाम तकनीकी और कानूनी दांवपेचों के जरिए सदन में बहुमत परीक्षण के लिए समय लेकर भाजपा की उलझन और बढ़ा रहे हैं, क्योंकि कमलनाथ और उनके सियासी प्रबंधक बागी विधायकों से संपर्क साधने में जुटे हैं।
कमलनाथ के एक संकट प्रबंधक का दावा है कि उसने एक बागी विधायक जो मंत्री भी थे और विधानसभा अध्यक्ष ने जिनका इस्तीफा मंजूर कर लिया है, से फोन पर बात हुई और वह विधायक बेहद पछता रहे हैं।
इस कांग्रेसी नेता के मुताबिक अब उक्त पूर्व मंत्री दूसरे विधायकों को समझा रहे हैं कि सिंधिया के चक्कर में वह अपनी सदस्यता को दांव पर न लगाएं। हालांकि भाजपा नेता इस दावे से इनकार करते हैं और कहते हैं कि सारे बागी विधायक एकजुट हैं और किसी भी कांग्रेसी का उनसे संपर्क नहीं हो पा रहा है।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं गुलाम नबी आजाद, आनंद शर्मा, रणदीप सिंह सुरजेवाला, अभिषेक मनु सिंघवी समेत जिनसे भी मध्य प्रदेश के सियासी संकट पर बात हुई सबका एक ही जवाब है कि मुख्यमंत्री कमलनाथ इस संकट से निबटने में सक्षम हैं और वह अपनी सरकार बचा लेंगे।