कैप्टन सौरभ कालिया करगिल वॉर के ऐसे पहले हीरो थे जिनके बलिदान से इस युद्ध की इबारत लिखी गई थी.

राष्ट्र भक्त (RashtraPratham):- कैप्टन सौरभ कालिया करगिल वॉर के ऐसे पहले हीरो थे जिनके बलिदान से इस युद्ध की इबारत लिखी गई थी. उन्होंने करगिल की युद्ध शुरू होने से पहले ही देश के लिए अपनी शहादत दे दी थी.

उस समय कैप्टन सौरभ कालिया के पास न ज्यादा गोला बारूद था और ना ही हथियार. पाकिस्तानी सैनिकों की काफी संख्या होने की वजह से दुश्मनों ने कैप्टन सौरभ कालिया और उनके बाकी साथियों को घेर लिया. हालांकि, इस दौरान कैप्टन सौरभ कालिया और उनके साथियों ने जंग के मैदान में दुश्मनों से मुकाबला लेने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी. लेकिन गोला-बारूद खत्म होने के बाद पाकिस्तानी घुसपैठिए ने उन्हें और उनके पाचों साथियों को बंदी बना लिया.

दुश्मनों की तरफ से काफी कोशिशों के बावजूद वे कैप्टन कालिया से एक भी शब्द नहीं निकलवा पाए. उसके बाद बर्बरता के साथ सलूक करने के 22 दिन बाद कैप्टन सौरभ कालिया के शव को सौंप दिया था. सौरभ कालिया के साथ दुश्मनों ने जो बर्ताव किया था उसकी वजह से उनके शव को उनके परिवारवाले तक नहीं पहचान पाए थे. हालांकि, पाकिस्तान हमेशा इससे इनकार करता रहा है.