देश में खासतौर पर पंजाब से लगते बॉर्डर पर पाकिस्तान की ओर से रोजाना ही कोई न कोई ड्रोन सीमा पार कर रहा है। ये ड्रोन अपने साथ हथियार, गोला-बारूद या ड्रग्स के पैकेट लाते हैं। चीन से लगती सीमा पर भी बड़ी संख्या में ऐसे ड्रोन की उपस्थिति बताई गई है, जिन्हें बिना किसी दूरबीन के देखना संभव नहीं होता। दुश्मन के ड्रोन का मुकाबला करने के लिए करीब तीन-चार साल पहले बीएसएफ में चार ड्रोन बटालियन तैयार करने का प्रपोजल आगे बढ़ा था। इसके तहत दो बटालियन, जम्मू-कश्मीर और पंजाब से लगते पाकिस्तान के बॉर्डर पर तैनात होनी थीं। बॉर्डर के एक किलोमीटर क्षेत्र के अंदर इन बटालियनों में से कई प्लाटून बनाकर उन्हें सीमा पर दस-पंद्रह किलोमीटर दूरी के अंतराल से तैनात कर दिया जाता। इसका दोहरा असर होता। पहला, दुश्मन के दिमाग में सदैव यह बात रहती कि बॉर्डर पर भारत की ड्रोन बटालियन है। दूसरा, अगर कोई ड्रोन आता तो उसे सीमा पर ही खत्म कर दिया जाता। इससे पहले कि यह प्रपोजल केंद्रीय गृह मंत्रालय तक पहुंचता, वह बल मुख्यालय में ही खो गया।
स्वदेशी तकनीक पर विकसित उपकरणों की जरूरत
गत सप्ताह नई दिल्ली में ‘राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए उभरती प्रौद्योगिकियों का उपयोग करना’, विषय पर आयोजित एक दिवसीय कॉन्फ्रेंस ‘नेशनल सिक्योरिटी डायलॉग’ 2023 के दौरान डॉ. आरके अरोड़ा ने यह बात कही है। बॉर्डरमैन, इंस्टीट्यूट ऑफ बॉर्डर सिक्योरिटी स्ट्डीज के फाउंडिंग डायरेक्टर, बॉर्डर सिक्योरिटी प्रोफेशनल एवं प्रोफेसर आईआईटी दिल्ली एवं एडवाइजर आईआईटी मुंबई, डॉ. आरके अरोड़ा ने कहा, बॉर्डर सिक्योरिटी के मौजूदा परिद्रश्य में ड्रोन बटालियन की बहुत आवश्यकता है। पंजाब में पाकिस्तान की तरफ से लगातार ड्रोन आ रहे हैं, उन्हें काउंटर करने के लिए स्वदेशी तकनीक पर विकसित उपकरणों की जरूरत है। ऐसा सिस्टम विकसित करना होगा, जो बॉर्डर पर ही ड्रोन को गिरा सके। इसके लिए एंटी ड्रोन गन, जैमिंग सिस्टम और ड्रोन के सेंट्रल प्वाइंट यानी सिग्नल पर अटैक करना शामिल है। अगर ड्रोन के सेंट्रल प्वाइंट को कमजोर कर दिया जाए तो वह रास्ता भटक कर वहीं आसपास गिर जाएगा।
अब टैंक की आमने-सामने की लड़ाई नहीं है
एनडीएमए के सदस्य और चांसलर ‘सेंट्रल यूनिवर्सिटी कश्मीर’ ले. जन. (रि) सैयद अता हसनैन ने 1998 के आसपास जेएंडके में करीब पांच हजार आतंकी होते थे। एक ही दिन में 14-15 एनकाउंटर हुए थे। अब मिलिट्री वॉरफेयर में स्मार्ट तकनीक आ गई हैं। राष्ट्र विरोधी ताकतों को काउंटर करने के लिए इनका सर्वश्रेष्ठ इस्तेमाल करना होगा। जेएंडके और पंजाब में बॉर्डर सिक्योरिटी एक चैलेंज की तरह है। टनल, टैरेन और दूसरे कई रास्तों से घुसपैठ की कोशिश होती है। ड्रोन और सैटेलाइट से आतंकियों के ठिकानों पर नजर रखी जा सकती है। सरकार भी ऐसे मामलों में ‘गतिज प्रतिक्रिया’ यानी काइनेटिक रिस्पांस चाहती है। सोशल मीडिया का गलत इस्तेमाल भी चिंता का कारण है। अब टैंक की आमने-सामने की लड़ाई नहीं है। मिलिट्री वॉरफेयर में ड्रोन ही कई तरह के काम कर देता है। हमें इस असीमित तकनीक का फायदा उठाना होगा।