कांग्रेस एमपी ने नई संसद के उद्घाटन समारोह में उपराष्ट्रपति को न बुलाने पर उठाए सवाल

संसद की नई बिल्डिंग के उद्घाटन समारोह में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को न्यौते पर विपक्ष और सत्तापक्ष के बीच तकरार जारी है। इसी बीच कांग्रेस पार्टी ने निमंत्रण पत्र में उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का नाम नहीं होने पर भी सवाल उठा दिया है। राज्यसभा में कांग्रेस के सांसद विवेक तन्खा ने अमर उजाला से चर्चा में कहा कि मध्यप्रदेश से राज्यसभा का सांसद होने के नाते मुझे निमंत्रण मिला है। लेकिन मेरा एक सवाल है कि राज्यसभा के अध्यक्ष और भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का नाम निमंत्रण कार्ड पर क्यों नहीं है। उन्हें निमंत्रण क्यों नहीं दिया गया है। आखिर हमारे सदन राज्यसभा का भी तो उद्घाटन है। आर्किटल 79 के मुताबिक पहले राष्ट्रपति और फिर उपराष्ट्रपति आते हैं।

सांसद तन्खा ने बताया कि अनुच्छेद 79 के तहत संसद में राष्ट्रपति और दो सदन में शामिल होते हैं। नया संसद भवन दोनों सदनों के सभापति और सदस्यों का है। 28 मई को दोनों सदनों का उद्घाटन होने जा रहा है। इसमें राज्यसभा के सभापति और उपराष्ट्रपति को क्यों नजरअंदाज किया जा रहा है। निमंत्रण कार्ड पर उनका नाम नहीं होना बहुत ही गलत बात हैं। यह एक संवैधानिक आपत्ति है। लोकसभा के अध्यक्ष जैसे ओम बिरला और वैसे ही हमारे राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ हैं। उप राष्ट्रपति की अपेक्षा करना बहुत ही खराब बात है।

सांसद तन्खा का कहना है कि राज्यसभा के सांसदों को लोकसभा सचिवालय निमंत्रण दे रहा है। जैसे हम कोई सामान्य अतिथि हैं। उच्च सदन के सदस्य होने के नाते हम लोगों का भी वजूद है। हमारा भी अलग से सदन है। नियम और संविधान के मुताबिक उप राष्ट्रपति पीएम से ऊपर होना चाहिए। वे इसलिए उपराष्ट्रपति को कार्यक्रम में नहीं बुला रहे क्योंकि प्रोटोकॉल की दृष्टि से पीएम का पद उनसे छोटा होता है। इसलिए सरकार ने एक सदन के प्रमुख का नहीं ही लिखा और उन्हें भी न्योता नहीं दिया। स्वाभाविक बात है कि अगर प्रधानमंत्री मुख्य अतिथि हैं, तो उपराष्ट्रपति को आमंत्रित नहीं किया जा सकता। सरकार को इसमें संवैधानिक रास्ता चुनना चाहिए। राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति का इस अहम मौके पर होना बहुत जरूरी है।’

इससे पहले कांग्रेस पार्टी के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने पीएम मोदी के उद्घाटन करने पर सवाल उठा दिए थे। उन्होंने ट्वीट कर कहा था कि नए संसद भवन का उद्घाटन राष्ट्रपति को ही करना चाहिए, प्रधानमंत्री को नहीं। इसके बाद से ही लगातार समारोह के खिलाफ सियासी दल बयानबाजी कर रहे हैं। आम आदमी पार्टी ने इसे राष्ट्रपति मुर्मू का अपमान बता दिया है। वहीं, बुधवार को 19 विपक्षी दलों ने नए संसद भवन के उद्घाटन का बहिष्कार करने का फैसला लिया है। सभी दलों ने एक संयुक्त बयान जारी कर कहा कि जब संसद से लोकतंत्र की आत्मा को ही छीन लिया गया है, तो हमें एक नई इमारत की कोई कीमत नजर नहीं आती है।विपक्षी दलों ने संयुक्त बयान में कहा, नए संसद भवन का उद्घाटन एक यादगार अवसर है। हमारे इस भरोसे के बावजूद कि यह सरकार लोकतंत्र के लिए खतरा है और जिस निरंकुश तरीके से नई संसद का निर्माण किया गया था, उसके प्रति हमारी अस्वीकृति के बावजूद हम मतभेदों को दूर करने के लिए इस अवसर पर शामिल होने के लिए खुले थे। लेकिन राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को पूरी तरह से दरकिनार करते हुए नए संसद भवन का उद्घाटन खुद ही करने का प्रधानमंत्री मोदी का फैसला न केवल उनका अपमान है, बल्कि हमारे लोकतंत्र पर सीधा हमला है।