भारत को एक बार फिर से चीता युक्त बनाने की कोशिश हो रही है। इसके लिए अफ्रीका से चीते लाए गए थे। हालांकि, अब तक आठ चीतों की मौत हो चुकी है। चीतो की मौत पर विपक्षी दलों ने तीखी आलोचना की। उन्होंने सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी के “कुप्रबंधन” को जिम्मेदार ठहराया। हाल ही में हुई मौत इस सप्ताह की दूसरी मौत है, जिससे अब एमपी पार्क में मौजूद चीतों की कुल संख्या 16 हो गई है, जिसमें एक शावक भी शामिल है। सवाल यह भी है कि चीतों की मौत को देखते हुए इन्हें कहीं और शिफ्ट किया जा सकता है?
क्या कहीं और शिफ्ट किए जाएंगे?
मध्य प्रदेश के कूनो राष्ट्रीय उद्यान में आठवें चीते की मौत के एक दिन बाद, केंद्रीय वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेन्द्र यादव ने कहा कि सरकार इस मुद्दे पर विशेषज्ञों के संपर्क में है, लेकिन “चीतों को स्थानांतरित नहीं किया जाएगा।” उन्होंने कहा कि हम अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों से भी संपर्क में हैं। हमारी टीम दौरा करेगी और स्थिति की समीक्षा करेगी। हम सभी संभावित पहलुओं पर गौर कर रहे हैं… यह पहला साल उनके निवास स्थान में बसने के लिए है। मुझे उम्मीद है कि परियोजना सफल होगी। जब उनसे पूछा गया कि क्या कुछ चीतों को स्थानांतरित किया जाएगा, तो उन्होंने जवाब दिया, “…वे कूनो में ही रहेंगे…उनकी देखभाल एमपी में ही की जाएगी।”
प्रदेश सरकार ने क्या कहा
पिछले करीब चार महीनों में आठ चीतों के मौत के बारे में पूछे जाने पर प्रदेश के वन मंत्री विजय शाह ने कहा कि मरने वाले तीन शावक जन्म से ही कुपोषित थे, जबकि अन्य मौतें इनमें मेट या खाने के दौरान लड़ाई में हुई, जो जानवरों में अमूमन होता है। कुप्रबंधन के किसी भी आरोप को खारिज करते हुए शाह ने कहा, ‘‘भारत सरकार, दक्षिण अफ्रीकी सरकार, नामीबिया सरकार, भारत सरकार की पूरी टीम, पूरा हॉक फोर्स चीतों के प्रबंधन में शामिल है और सब कुछ उनके निर्देशों के अनुसार किया जा रहा है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘इसलिए यह कहना उचित नहीं है कि ये (मौतें) लापरवाही के कारण हुईं। पीएमओ (प्रधानमंत्री कार्यालय) हर चीज पर कड़ी नजर रख रहा है। सब कुछ पीएमओ के निर्देश पर किया जा रहा है। हमारी ओर से कोई लापरवाही नहीं हुई है।’’