इलाहाबाद हाईकोर्ट ने लखनऊ में सीएए विरोध के दौरान विगत दिनों हुई हिंसक झड़प को लेकर सड़क किनारे आरोपियों के पोस्टर व फोटो लगाने को गंभीर प्रकरण माना है। हालांकि कोर्ट ने मामले में एडवोकेट जनरल के पेश होने की बात पर सुनवाई अपराह्न 3 बजे तक के लिए टाल दी, क्योंकि मौसम खराब होने की वजह से एडवोकेट जनरल को आने में देरी हो रही है।
चीफ जस्टिस गोविन्द माथुर एवं जस्टिस रमेश सिन्हा की बेंच ने सुनवाई के प्रारंभ में अपर महाधिवक्ता नीरज त्रिपाठी से मौखिक रूप से कहा कि यह विषय गंभीर है। ऐसा कोई भी कार्य नहीं किया जाना चाहिए जिससे किसी के दिल को ठेस पहुंचे।
पोस्टर लगाने को बेंच ने कहा कि यह राज्य के प्रति भी अपमान है और नागरिक के प्रति भी। यह भी कहा कि आपके पास 3 बजे तक का समय है। कोई जरूरी कदम उठाना हो तो उठा सकते हैं।
अपने आदेश में कोर्ट ने कहा है कि पोस्टरों में इस बात का कहीं जिक्र नहीं है कि किस कानून के तहत ये पोस्टर लगाए गए हैं। हाईकोर्ट का मानना है कि सार्वजनिक स्थान पर संबंधित व्यक्ति की अनुमति के बिना उसका फोटो या पोस्टर लगाना गलत है। यह राइट टू प्राइवेसी (निजता के अधिकार) का उल्लंघन है।