प्रवासी मजदूरों की दर्दभरी दास्तां

औरंगाबाद। महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले में रेल की पटरियों पर सो रहे 16 प्रवासी मजदूरों की शुक्रवार सुबह मालगाड़ी की चपेट में आने से मौत हो गई। लॉकडाउन के दरमियां जान गंवाने वाले लोगों का यह कोई पहला वाक्या नहीं है। एक अध्ययन सामने आया जिसमें दावा किया जा रहा है कि देशव्यापी बंद के बीच 300 से अधिक ऐसे मामले हैं जो प्रत्यक्ष तौर पर तो कोरोना संक्रमण से जुड़े नहीं हैं, लेकिन इससे जुड़ी अन्य समस्याएं इनका कारण है। जिसके चलते इन लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी।शोधकर्ताओं ने 19 मार्च से लेकर 2 मई के बीच 338 मौतें होने का दावा किया है, जो लॉकडाउन से जुड़ी हुई हैं। इन शोधकर्ताओं के समूह में पब्लिक इंटरेस्ट टेक्नोलॉजिस्ट तेजेश जीएन, सामाजिक कार्यकर्ता कनिका शर्मा और जिंदल ग्लोबल स्कूल ऑफ लॉ में सहायक प्रोफेसर अमन शामिल हैं। अध्ययन के अनुसार आंकडें बताते हैं कि 80 लोगों ने अकेलेपन से घबराकर और संक्रमण के भय से आत्महत्या कर ली तो दूसरी तरह मरने वालों का सबसे बड़ा आंकड़ा प्रवासी मजदूरों का है।कोरोना संक्रमण के चलते देशव्यापी बंद होने की वजह से प्रवासी मजदूर अपने घरों को लौटने लगे। जहां कई सड़क दुर्घटनाओं में 51 प्रवासी मजदूरों की मौत हो गई। तो वहीं शराब नहीं मिलने से 45 लोगों की मौत हो गई और भूख एवं आर्थिक तंगी के चलते 36 लोगों की जान गई।