आर्थिक तंगी से जकड़े पाकिस्तान के लिए किसी भी मोर्चे पर राहत की खबर नहीं आ रही है। अब देश की स्वास्थ्य व्यवस्था पर भी खराब आर्थिक सेहत का असर पड़ने लगा है। यहां के अस्पताल आवश्यक दवाओं की कमी से जूझ रहे हैं। डॉलर की कमी के कारण, अधिकांश दवा निर्माताओं को आयातित सामग्री नहीं मिल रही है। पाकिस्तान फार्मास्युटिकल मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (पीपीएमए) ने कहा कि अगर आयात पर प्रतिबंध अगले चार से पांच सप्ताह तक बना रहा तो देश को सबसे खराब मेडिकल संकट से गुजरना पड़ेगा।
पाकिस्तान का मेडिकल संकट क्या है? इसकी वजह क्या है? संकट से उबरने के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं? IMF के बेलआउट पैकेज के लिए पाकिस्तान क्या कर रहा है? आइये जानते हैं…
पाकिस्तान का मेडिकल संकट क्या है?
विदेशी मुद्रा की कमी के चलते दवाओं और स्वास्थ्य उपकरणों के आयात पर प्रभाव पड़ा है। दवा उत्पादन के लिए जरूरी कच्चे माल का आयात घटने से स्थानीय दवा निर्माताओं को अपने उत्पादन को कम करने के लिए मजबूर होना पड़ा है। दवाओं और चिकित्सा उपकरणों की कमी के कारण डॉक्टर सर्जरी नहीं कर पा रहे हैं। वहीं कई अस्पतालों में रोगी बिना इलाज के पड़े हैं।
स्थानीय रिपोर्ट के अनुसार, ऑपरेशन थिएटरों में हार्ट, कैंसर और किडनी जैसी सर्जरी के लिए एनेस्थेटिक्स के स्टॉक केवल दो हफ्तों के ही बचे हैं। यदि यही स्थिति बनी रही है, तो पाकिस्तान के अस्पतालों में कर्मी नौकरी छोड़ने को मजबूर हो जाएंगे।
खुदरा विक्रेताओं का कहना है कि कुछ महत्वपूर्ण दवाओं की कमी से अधिकांश ग्राहक प्रभावित हो रहे हैं। इन दवाओं में पैनाडोल, इंसुलिन, ब्रुफेन, डिस्प्रिन, कैलपोल, टेग्रल, निमेसुलाइड, हेपामेर्ज, बुस्कोपैन और रिवोट्रिल आदि शामिल हैं।