पहले ओम प्रकाश राजभर और सपा विधायक दारा सिंह चैहान और अब साहब सिंह सैनी भी भगवा रंग में रंग गए. ऐसा लगता है कि समाजवादी पार्टी का दामन जल्द से जल्द छोड़ने के लिए पार्टी के भीतर कोई मुहिम चली रही हो. एक तरफ सपा प्रमुख अखिलेश यादव अपनी पार्टी के नेताओं को अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव में बड़ी जीत के दावे वाला सपना बेच रहे हैं तो दूसरी तरह आगे बढ़ने और लोकसभा चुनाव में जीत की गांरटी के चक्कर में सपा के दिग्गज नेता बीजेपी में खिसकते जा रहे हैं. उनकी पार्टी के नेता साथ छोड़ते जा रहे है. इसी क्रम मे आज साहब सिंह सैनी भी भाजपाई हो गए. भारतीय जनता पार्टी मुख्यालम में आज समाजवादी पार्टी सरकार में मंत्री रहे साहब सिंह सैनी ने बीजेपी का दामन थाम लिया।
उनके अलावा कुछ और पूर्व विधायकों ने भी भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर ली। 2022 विधानसभा चुनाव में खतौली सीट से रालोद के प्रत्याशी रहे राजपाल सैनी, सपा की पूर्व विधायक सुषमा पटेल, पूर्व मंत्री जगदीश सोनकर सहित करीब एक दर्जन लोगों ने भाजपा की सदस्यता ग्रहण की। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चैधरी, उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य और उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक की मौजूदगी में विपक्षी दलों के नेताओं को बीजेपी की सदस्यता ग्रहण कराई गई। उक्त नेताओं के अलावा पूर्व विधायक अंशुल वर्मा, जौनपुर के पूर्व विधायक गुलाब सरोज, वाराणसी से कांग्रेस की मेयर प्रत्याशी रही शालिनी यादव ने भी भाजपा की सदस्यता ग्रहण की।
गौरतलब हो, बीजेपी लगातार इस बात की कोशिश में है कि वह यूपी में बड़ी जीत दर्ज करे। बीजेपी के नेता बार-बार यह बात दोहरा रहे हैं कि पार्टी का फोकस सभी 80 सीटों को जीतने पर है। पिछले कुछ दिनों से लगातार पार्टी छोटे दलों गठबंधन के साथ दूसरे दलों के प्रभावशाली नेताओं को अपने साथ जोड़ने की कोशिश में लगी हुई है। अपनी इस मुहिम में भाजपा ने पश्चिम से लेकर पूर्वांचल तक विपक्षी दलों को झटका देने की तैयारी की है। पश्चिमी यूपी में सैनी समाज का बड़ा वोट बैंक है। इस समाज के वोट पर साहब सिंह सैनी और राजपाल सिंह सैनी का खासा प्रभाव है। राजपाल ने 2022 में खतौली से रालोद प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ा था। पूर्वांचल में जौनपुर के मुंगराबादशाहपुर सीट से सपा विधायक रहीं सुषमा पटेल कुर्मी समाज से हैं, पार्टी पूर्वांचल में कुर्मी समाज में अपना जनाधार बढ़ाना चाहती हैं।पूर्व विधायक जगदीश सोनकर भी सदस्यता ग्रहण करेंगे। सोनकर चार बार विधायक रहे हैं। पूर्वांचल के सोनकर समाज में उनकी मजबूत पकड़ है। बहरहाल, बात इतनी भर नहीं है कि सपा नेता पलायन करके बीजेपी में आ रहे हैं.इससे आगे देखा जाए तो ऐन चुनाव से पूर्व प्रतिद्वंदी पार्टी के नेताओं को अपने पाले में मिलाने से पार्टी का बड़ा आभा मंडल तैयार होता है कि बीजेपी मजबूत है इसी लिए सभी पार्टी के नेता उससे हाथ मिलाना चाह रहे हैं,इसके अलावा वोटरों और पार्टी कार्यकताओं के बीच भी गलत मैसेज जाता है कि पार्टी कमजोर हो रही है.