लौह पुरुष की जयंती के दिन जम्मू कश्मीर और लद्दाख बने थे केंद्रशासित प्रदेश

खबरें देश की (Rashtra Pratham): केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर से 5 अगस्त, 2019 को आर्टिकल 370 के प्रावधानों को समाप्त कर दिया था। अमित शाह ने संसद में इसकी घोषणा की थी। जिसके बाद 31 अक्टूबर 2019 को दो नए केंद्रशासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर और लद्दाख अस्तित्व में आ गए।आर्टिकल 370 के तहत राज्य को मिले विशेष दर्जे को संसद द्वारा समाप्त किए जाने के 86 दिन बाद दो नए केंद्रशासित प्रदेशों का निर्णय प्रभावी हुआ था। इसके लिए बकायदा गृह मंत्रालय ने अधिसूचना जारी की थी।

केंद्रशासित प्रदेश बनने के साथ ही जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में संसद के बने कई कानून लागू हो गए जो पहले आर्टिकल 370 की वजह से लागू नहीं होते थे। वहीं, केंद्र सरकार ने जम्मू कश्मीर और लद्दाख केंद्रशासित प्रदेशों की अगुवाई का जिम्मा उप राज्यपाल गिरीश चंद्र मुर्मू और आर के माथुर को सौंपा था। हालांकि, जम्मू-कश्मीर के उप राज्यपाल गिरीश चंद्र मुर्मू ने आर्टिकल 370 के समाप्त होने के ठीक एक साल बाद पद से इस्तीफा दे दिया और राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने उनका इस्तीफा स्वीकार भी कर लिया है।

अब सरकार ने जम्मू-कश्मीर के उप राज्यपाल पद के लिए मनोज सिन्हा को नियुक्त किया है। जो मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में रेल राज्यमंत्री रह चुके हैं। इसके अलावा वह तीन बार लोकसभा सांसद बन चुके हैं। हालांकि, 2019 के लोकसभा चुनाव में वह गाजीपुर सीट से चुनाव हार गए थे। यह कोई पहली दफा नहीं था जब उन्होंने हार का सामना किया हो इसके पहले भी वह कई मौको पर लोकसभा चुनाव में करारी हार का सामना कर चुके हैं। जम्मू-कश्मीर को दो केंद्रशासित प्रदेशों में बांट दिया गया था। यह भारतीय इतिहास में पहली दफा था जब किसी प्रदेश को दो केंद्रशासित प्रदेशों में विभाजित कर दिया गया। जिसके बाद श्रीनगर और लेह में दो अलग-अलग शपथग्रहण समारोहों का भी आयोजन हुआ था।