(Rashtra Pratham): हाथरस में हुए सामूहिक गैंगरेप को लेकर देश में गुस्सा उबल रहा है। दोषियों को सख्त से सख्त सजा देने की मांग हो रही है। विपक्षी खेमा प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार को घेरने का कोई मौका नहीं छोड़ रही है। वहीं, सरकारी प्रशासन की लापरवाहियों के चलते योगी सरकार घिरती हुई भी दिखाई दे रही है और डैमेज कंट्रोल करने में भी जुटी हुई है। पहले कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी और महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा द्वारा पीड़िता के परिवार से मिलने की कवायद और फिर तृणमूल सांसदों का प्रतिनिधिमंडल हाथरस पहुंचा लेकिन उन्हें गांव के भीतर नहीं आने दिया गया।
उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा की जा रही कार्रवाई से विपक्षी खेमा नाराज चल रहा है और वह लगातार जानकारियों को छुपाने का आरोप लगा है। हाथरस गैंगरेप के जरिए विपक्ष ने योगी आदित्यनाथ से लेकर केंद्र की मोदी सरकार तक को घेरने की योजना बना ली है। हाल के वर्षों की तरफ नजर दौड़ाए तो महिला सुरक्षा और बलात्कार जैसे गंभीर मुद्दों पर सबसे अधिक जन-आंदोलन हुए हैं और जिसका सियासी असर भी साफ तौर पर देखा गया है।
16 दिसंबर 2012 को दिल्ली में हुए निर्भया कांड के बाद लोगों का हुजूम सड़कों पर दिखाई दिया और महिला सुरक्षा का मुद्दा अहम बन गया। यहां तक की शीला दीक्षित के नेतृत्व वाली सरकार भी गिर गई। इसके अतिरिक्त 2016 हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव में वीरभद्र सिंह की अगुवाई वाली कांग्रेस सरकार की हार के पीछे भी रेप केस बड़ा मुद्दा था। उस समय वीरभद्र सिंह पर रेप केस को दबाने के आरोप लगे थे। यही कारण है कि हाथरस कांड के बाद विपक्षी खेमा आक्रामक रूप से आगे बढ़ने का प्रयास कर रहा है। उत्तर प्रदेश में लखनऊ से लेकर अलीगढ़ तक प्रदर्शन हो रहे हैं।