खबरें देश की (Rashtra Pratham): एक साल पहले कोरोना वायरस के बढ़ते प्रकोप के बीच आज ही के दिन (22 मार्च 2020) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जनता कर्फ्यू की घोषणा करते हुए भारतवासियों से अपने-अपने घरों में बंद होने के लिए कहा था। इसके साथ ही लोगों को मास्क पहनने, शारीरिक दूरी का पालन करने, हाथ को साफ रखने जैसी तमाम गाइडलाइन पालन करने के निर्देश दिए गए थे। यह एक तरह से कोरोना के प्रसार को रोकने की कोशिश व इस घातक बीमारी के खिलाफ आधिकारिक जंग की शुरुआत थी। जनता कर्फ्यू के दौरान एक तरह का अजीब सन्नाटा था। न हॉर्न की आवाज और न ही कोई और हलचल। सिर्फ पक्षियों की आवाज सुनाई दे रही थी।
उस समय कहा गया था कि यह लॉकडाउन का ट्रायल है। तब किसी को अंदाजा भी नहीं था कि लॉकडाउन कब खुलेगा। लोगों की आंखों के सामने इस भयानक वायरस की चपेट में आने से उनके अपनों की जान जा रही थी। क्या छोटा-क्या बड़ा, क्या जवान और क्या वृद्ध, कोरोना हर किसी को अपना शिकार बना रहा था। ऐसे में एकमात्र उपाय घरों में बंद रहना ही था। लोग लॉकडाउन के बीच इस घातक बीमारी की दवा का इंतजार करने लगे।
महीनों की पाबंदी के बाद अनलॉक हुआ और धीरे-धीरे भारत ने वैक्सीन भी विकसित कर ली। आज भारत के पास कोविड-19 के दो टीके हैं। वहीं, 16 जनवरी 2021 से पहले चरण के टीकाकरण अभियान की शुरुआत हुई और देखते ही देखते इस अभियान ने रफ्तार पकड़ ली। इसके कुछ ही समय बाद एक मार्च से दूसरे चरण के टीकाकरण अभियान के तहत भी लोगों को कोरोना वायरस टीके की खुराक दी जाने लगी।