आंखों से बह रहा आसुंओं का सैलाब

तीन दिन तक हिंसा की आग में जले उत्तर-पूर्वी जिले में बृहस्पतिवार को चौथे दिन भले ही शिव विहार में मामूली हिंसा को छोड़कर पूरे जिले में शांति रही, लेकिन जिन लोगों ने अपनों को खो दिया, उनके जख्म भरने में वक्त लगेगा। किसी ने बेटा खो दिया तो किसी ने परिवार के मुखिया को। कोई बहन अपने भाई के गम में डूबी है तो किसी बुजुर्ग की बुढ़ापे की लाठी  ही छिन गई। रोजी-रोटी का जरिया जलकर राख हो चुका है। बच्चे बेहसहारा हो चुके हैं। घरों-दुकानों व गाड़ियों के मलबे से अब भी धुआं उठ रहा है। यह आग ठंडी हो जाएगी, लेकिन अपनों की याद में पीड़ितों के आंसू शायद ही सूख पाए। बृहस्पतिवार सुबह लोग सड़कों पर दिखे और खुद ही हिंसा के निशान मिटाने शुरू किए। ईंट-पत्थर चलने से लाल हो चुकी सड़कों पर झाड़ू लगाई। इसके साथ ही दुकानों पर खरीदार भी नजर आए।  हिंसा के दौरान सीलमपुर से जाफराबाद होते हुए मौजपुर जाने वाली सड़क को एक तरफ से बंद कर दिया गया था उसे वाहनों की आवाजाही के लिए खोल दिया गया। कुछ देर बाद ही मुख्य सड़क पर वाहन फर्राटा भरने लगे। इससे पहले सुबह ही इन सड़कों को साफ करने का काम शुरू कर दिया गया था। इसी तरह वजीराबाद रोड पर भी वाहनों की आवाजाही शुरू हो गई और लोग घरों से निकलकर काम पर जाने लगे। हालांकि इन सड़कों पर पुलिस व अर्द्धसैनिक बलों की मौजूदगी थी।