राज्यपाल के निर्णय को लेकर असमंजस की स्थिति बरकरार

महाराष्ट्र में कोरोना के मामले सबसे ज्यादा हैं, राज्य की स्थिति भी धीरे-धीरे बिगड़ रही है। मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की तमाम कोशिशों को बावजूद संक्रमण और मौतों के मामले में महाराष्ट्र देश में नंबर वन बना हुआ है। उद्धव ठाकरे ने बीते दिनों अपने संबोधन में शेयर भी किया है कि मौजूदा हालात को लेकर उनके मन में क्या चल रहा है – ‘जो युद्ध चल रहा है, उसका इंतजार कर रहा हूं कब खत्म होगा? अगर ये शत्रु दिखता तो उसका हम कब का खात्मा कर चुके होते – लेकिन ये दिखता नहीं है… शत्रु दिख नहीं रहा है, युद्ध कब तक खत्म होगा ये सवाल मेरे मन में भी है। लेकिन दूसरा सवाल जो उनके मन में कई दिनों से चल रहा था और जिसे साझा करना उनके लिए काफी मुश्किल भरा रहा। आखिरकार वो उन्होंने साझा करना ही मुनासिब समझा वो भी निवेदन के  रुप में। अक्सर देश की जनता से अपने मन की बात करने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने कुर्सी खोने के जज्जबात को सामने रखा। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को 28 अप्रैल की रात में फोन किया। खबर है कि उद्धव ठाकरे ने प्रधानमंत्री मोदी को महाराष्ट्र की संवैधानिक स्थिति को लेकर वस्तुस्थिति से अवगत कराया। वैसे तो ये काम अमूमन राज्य के राज्यपाल का होता है और वो ऐसा कर भी रहे होंगे। लेकिन ये ज्यादा महत्वपूर्ण नहीं है कि उद्धव ठाकरे ने पीएम मोदी से क्या बात की होगी, सवाल, दरअसल, ये है कि आखिर उद्धव ठाकरे द्वारा पीएम मोदी को फोन करने की नौबत आई क्यों?