2024 चुनाव को लेकर लगातार राजनीतिक दल अपनी-अपनी रणनीति बना रहे हैं। इन सब के बीच आज विपक्षी दलों की बड़ी बैठक बेंगलुरु में हो रही है। इस बैठक से पहले कई दलों ने अपने तेवर नरम कर लिए हैं। अध्यादेश को लेकर अब तक खामोश रहने वाले कांग्रेस ने संसद में इसका विरोध करने की बात कही है। इसके बाद आम आदमी पार्टी बेंगलुरु में विपक्षी दलों की बैठक में शामिल होने के लिए तैयार हो गई। विपक्षी एकता को मजबूती देने के लिए ममता बनर्जी के तेवर भी नरम पड़े हैं। तो वहीं उत्तर प्रदेश में भी राजनीतिक बदलाव देखने को मिल रहे हैं। कांग्रेस को लेकर अपने तल्ख तेवर रखने वाले अखिलेश यादव थोड़ा नरम रुख रखने लगे हैं। इसका कारण राष्ट्रीय लोक दल के प्रमुख जयंत चौधरी को माना जा रहा है।
अखिलेश ने बदली रणनीति
कुछ दिन पहले पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने दावा किया था कि कांग्रेस जिस राज्य में कमजोर है, उस राज्य में उसे क्षेत्रीय दलों के लिए स्पेस रखना चाहिए। इसका मतलब साफ था कि ममता बनर्जी कहीं से भी नहीं चाहती थीं कि कांग्रेस पश्चिम बंगाल में चुनाव लड़े। ममता बनर्जी का कहना था कि बंगाल में तृणमूल कांग्रेस मजबूत है, इसलिए कांग्रेस यहां चुनाव ना लड़े। ममता बनर्जी के इस बात का समाजवादी पार्टी के प्रमुख और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने भी समर्थन किया था। अखिलेश ने भी कहा था कि जिस राज्य में जो पार्टी मजबूत है, वहां उसको नेतृत्व करने दिया जाना चाहिए। इसका मतलब साफ तौर पर निकल रहा था कि उत्तर प्रदेश में सपा मजबूत है तो वह यहां गठबंधन का नेतृत्व करेगी। इसके जरिए अखिलेश से संदेश को दिया था कि कांग्रेस उत्तर प्रदेश में उनसे ज्यादा सीटें ना मांगे। हालांकि अब अखिलेश ने अपने तेवर बदल दिए हैं।
क्या है अखिलेश का नया रुख
सूत्रों के मुताबिक जयंत चौधरी उत्तर प्रदेश में बिना कांग्रेस के चुनाव नहीं लड़ना चाहते। जयंत चौधरी के सूत्रों ने कहा है कि अगर सपा-कांग्रेस-आरएलडी तथा अन्य दूसरी पार्टियों का गठबंधन होता है तो वह इस तरफ रहेंगे अन्यथा उनके पास भाजपा की ओर से ऑफर मौजूद है। अखिलेश यादव को हाल में ही गठबंधन को लेकर बड़ा झटका लगा है जब ओमप्रकाश राजभर ने उनका साथ छोड़ दिया है। इसके अलावा उनके एक विधायक दारा सिंह चौहान ने भी पार्टी से इस्तीफा दे दिया है। ऐसे में अखिलेश कोई रिस्क नहीं लेना चाहते। इसलिए अब वह उत्तर प्रदेश में कांग्रेस को अच्छा स्पेस देने के लिए तैयार हैं। देखान होगा कि अखिलेश उत्तर प्रदेश में कितनी सीटें देते हैं।