निर्भया के दोषी मुकेश सिंह की याचिका पर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान उसके वकील मनोहर लाल शर्मा ने दलील दी कि केंद्र सरकार, दिल्ली सरकार और न्याय मित्र वकील वृंदा ग्रोवर ने आपराधिक साजिश रचकर धोखे से याचिका पर दस्तखत ले लिए थे, जबकि सुधारात्मक याचिका दाखिल करने के लिए तीन साल का वक्त था। इस पर जस्टिस अरुण मिश्रा की पीठ ने याचिका खारिज करते हुए कहा, अगर ग्रोवर ने सुधारात्मक याचिका नहीं दी होती तो बहुत पहले ही फांसी हो गई होती। याचिका मुकेश के भाई सुरेश ने दी थी।जस्टिस अरुण मिश्रा और जस्टिस एमआर शाह की पीठ ने मुकेश की याचिका पर कहा, समीक्षा याचिका खारिज किए जाने को डेढ़ साल से अधिक हो गया था, इसके बाद ही मौत का वारंट जारी किया गया था। अगर ग्रोवर ने सुधारात्मक याचिका नहीं दी होती तो आपको बहुत पहले ही फांसी हो गई होती। आप उन्हीं की याचिका की बदौलत ही बचे हुए हो। यह याचिका सुनवाई के लायक ही नहीं है।इस मामले में सुनवाई के लिए कुछ नहीं बचा, इसलिए खारिज की जा रही हे। मुकेश के वकील मनोहर लाल शर्मा की दलीलों को खारिज करते हुए पीठ ने कहा, दोषी के पास कोई विकल्प नहीं है और अपने सारे कानूनी विकल्प आजमा चुका है। पीठ के समक्ष सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने मुकेश की याचिका का विरोध किया। दिल्ली के पटियाला हाउस कोर्ट द्वारा जारी डेथ वारंट के मुताबिक, 20 मार्च को सुबह 5:30 बजे चारों दोषियों विनय शर्मा, पवन गुप्ता, मुकेश सिंह और अक्षय कुमार सिंह को दिल्ली की तिहाड़ जेल संख्या-3 में फांसी दी जाएगी।पीठ ने वकील शर्मा की दलीलों पर नाराजगी जताते हुए कहा, मुकेश के भाई को कैसे पता कि जेल में क्या हुआ? सुरेश की ओर से जो बातें कही गई हैं, उनका स्रोत क्या है? सूचना का स्रोत देना अनिवार्य होता है। इस पर मुकेश के दस्तखत वाला हलफनामा भी नहीं हैं। ऐसे में यह जानकारी कहां से आई? आप कुछ ऐसा कर रहे हैं, जो बेहद आपत्तिजनक हैं। दरअसल, शर्मा ने कहा कि न्याय मित्र ने डरा-धमकाकर मुकेश से हस्ताक्षर लिए। उन्होंने आरोप लगाया कि दिल्ली चुनाव के वक्त फांसी का आदेश पारित कराने के मकसद से यह सब किया गया।एक और दोषी विनय शर्मा ने 13 मार्च को हाईकोर्ट में अपनी दया याचिका खारिज होने के फैसले को चुनौती दी। याचिका में दोषी विनय के वकील ने दावा किया कि एक फरवरी 2020 को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद द्वारा उनके मुवक्किल की दया याचिका खारिज किए जाने में प्रक्रियागत खामियां और सांविधानिक अनियमितताएं थीं। उन्होंने दावा किया कि दया याचिका खारिज करने के लिए राष्ट्रपति के पास भेजी गई सिफारिश पर दिल्ली सरकार के गृहमंत्री सत्येंद्र जैन ने तब दस्तखत किए, जब दिल्ली में चुनाव आचार संहिता लागू थी। ऐसे में जैन आधिकारिक तौर पर यह दस्तखत नहीं कर सकते थे।दोषी पवन ने 11 मार्च को कड़कड़डूमा कोर्ट में मंडोली जेल के दो पुलिसकर्मियों पर मारपीट का आरोप लगाकर उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के लिए याचिका दायर की है। याचिका के आधार पर कोर्ट ने 12 मार्च को जेल प्रशासन को नोटिस जारी कर आरोपी पुलिसकर्मियों पर की गई कार्रवाई की रिपोर्ट 8 अप्रैल तक मांगी है।सुप्रीम कोर्ट 23 मार्च को गृह मंत्रालय की उस अपील पर सुनवाई करेगा जिसमें निर्भया के दोषियों को अलग-अलग फांसी देने की अपील की गई थी।