दिल्ली हिंसा में मृतकों की संख्या शुक्रवार को बढ़कर 42 पहुंच गई। धुएं का गुबार छंटने के बाद शहर में तीन दशक के सबसे बुरे हिंसा से हुआ वास्तविक नुकसान अब सामने आ रहा है। वहीं आशंकाओं के बीच लोग काम के लिए घरों से बाहर निकलते दिखे और हिंसा प्रभावित इलाकों में कुछ दुकानें एवं अन्य प्रतिष्ठान भी खुले। निगम कर्मी जहां चार दिन की हिंसा के बाद उत्तर-पूर्व दिल्ली की सड़कों एवं गलियों से पत्थर, कांच के टुकड़े और मलबे साफ करते दिखे वहीं कुछ दुकानदार अपनी जली हुई और टूटी-फूटी दुकानों का मायूसी से मुआयना करते नजर आए। पुलिस और अर्द्धसैनिक बल के कर्मी मस्जिदों में जुमे की नमाज के मद्देनजर सख्त चौकसी बरतते नजर आए। दिल्ली में हिंसा रुकने का नाम नहीं ले रही है। उपद्रवियों ने आज सुबह 6:00 बजे शिव विहार इलाके में एक व्यक्ति की पीट-पीटकर हत्या कर दी। वह कूड़ा बीनने का काम करता था। उपद्रवियों ने उसे तब तक पीटा जब तक वह बेहोश नहीं हो गया। परिजन उसे जीटीबी अस्पताल ले गए जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।जीटीबी अस्पताल में 72 घंटे में सिर्फ 13 पोस्टमार्टम हुए हैं। जीटीबी अस्पताल प्रबंधन के सूत्रों से मिली खबर के अनुसार पोस्टमार्टम में देरी की वजह पुलिस है। जांच अधिकारी ही अब तक अस्पताल नहीं पहुंचे हैं। बगैर पंचनामा हुए पोस्टमार्टम नहीं हो सकता।कांग्रेस का एक पांच सदस्यीय दल उत्तर-पूर्वी दिल्ली के हिंसा प्रभावित इलाकों का दौरा करने वाला है। इस दल में मुकुल वासनिक, तारिक अनवर, सुष्मिता देव, शक्तिसिंह गोहिल और कुमारी शैलजा होंगी।