उत्तर-पूर्वी दिल्ली में तीन दिन तक चले खूनी संग्राम की सच्चाई जीटीबी अस्पताल की मोर्चरी बयां कर रही है। उपद्रवियों की क्रूरता के शिकार मरने वालों के शवों को पहचान पाना तक दूभर हो रहा है। हालांकि हिंसा के गवाह इन शवों की आधिकारिक स्थिति पोस्टमार्टम के बाद ही सामने आ सकेगी लेकिन ऊपरी तौर पर शवों की स्थिति बहुत भयावह है। मोर्चरी के भीतर से पहली बार सामने आई हिंसा की सच्चाई के बाद डॉक्टर भी उपद्रवियों के खिलाफ ठोस कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।
शरीर का ऐसा कोई हिस्सा नहीं बचा, जिससे ठोस पहचान परिजन कर सकें। हाथ-पैर और नाखूनों के जरिये शवों की पहचान करनी पड़ रही है। उपद्रवियों ने किसी को गोली मारने के बाद जला डाला तो किसी को गोली मारने के बाद चाकुओं से गोद डाला।
आठ लोगों के सिर पर इस तरह से वार किए गए कि उनकी मौत हो गई। जबकि एक व्यक्ति के शरीर पर तलवार से 25 बार हमला किया गया है। वहीं, 80 से 90 फीसदी जले शवों को पहचानना तक मुश्किल हो रहा है। जीटीबी की मोर्चरी में 12 शव ऐसे हैं जिनकी शुक्रवार देर शाम तक पहचान नहीं हो पाई है।
अस्पताल के चिकित्सा निदेशक डॉ. सुनील कुमार के अनुसार अब तक 42 में से 38 मौतें उनके यहां दर्ज की गई हैं। 38 में से 28 मृत हालत में अस्पताल पहुंचे थे। जबकि अन्य 10 लोगों ने आईसीयू में उपचार के दौरान दम तोड़ दिया।