एक साल पहले बगैर टिकट पकड़ा गया, जेल में ही मर गया, जमानत कराने के लिए बहनें मांग रही थीं भीख

कानपुर में बिना टिकट ट्रेन की यात्रा करने के जुर्म में सलाखों के पीछे जीवन काट रहे कैदी की जिला जेल के अस्पताल में सोमवार देर रात मौत हो गई। जमानत के लिए उसकी पांच बहनें भीख मांगकर वकीलों की फीस भर रही थीं। जेल प्रशासन बीमारी से मौत का दावा कर रहा है। परिजन मौत की वजह को संदिग्ध मान रहे हैं। मंगलवार को पोस्टमार्टम में भी मौत की वजह स्पष्ट नहीं हो सकी। विसरा सुरक्षित रख लिया गया है।
उन्नाव के बांगरमऊ निवासी गुलफाम को एक साल पहले जीआरपी ने बिना टिकट यात्रा करते पर जेल भेजा था।

परिजनों का कहना है कि देर रात जेल प्रशासन की ओर से फोन करके बताया गया कि गुलफाम की तबीयत खराब है। सुबह पहुंचने पर गुलफाम की मौत की जानकारी दी गई। परिजनों का कहना है कि गिरफ्तारी के समय तक गुलफाम को कोई बीमारी नहीं थी।

जेल में तबीयत बिगड़ने पर उसे बाहर किसी अस्पताल में भर्ती भी नहीं करवाया गया। इससे जेल प्रशासन की दलील पर भरोसा नहीं हो रहा है। गुलफाम पांच बहनों मे इकलौता भाई था। पिता की मौत के बाद फल बेचकर मां और बहनों का पेट पाल रहा था।

साल भर पहले वह खरीदारी करने कानपुर आया था। सेंट्रल स्टेशन पर पहुंचा तो ट्रेन छूटने वाली थी। इसलिए बिना टिकट ट्रेन में सवार हो गया। पोस्टमार्टम हाउस में बड़ी बहन शाहिना ने बताया कि भाई की जमानत के लिए पहले गांव की जमीन बेची।

इसके बाद मां के जेवर बेचकर वकीलों की फीस भरते रहे। पाई-पाई खर्च होने पर पांचों बहनें भीख मांगकर कचहरी का खर्च उठा रहीं थीं। पड़ोसी से कर्ज लेकर आई थीं बहन शाहिना ने बताया कि कानपुर तक आने के लिए किराया नहीं था।

सुबह पड़ोसी से दो सौ रुपये कर्ज लेकर यहां पहुंची। परिजनों की माली हालत देखकर पोस्टमार्टम हाउस के कर्मचारियों ने एंबुलेंस की व्यवस्था करवाकर शव उन्नाव भिजवाया। शाहिना का कहना है कि भाई के जमानत के इंतजार में बहनों के हाथ पीले नहीं हो पाए। उसकी मौत परिजन सदमे में हैं।