निर्भया कांड के दोषी अक्षय ठाकुर का शव शनिवार को उसके पैतृक आवास बिहार के औरंगाबाद जिले के नवीनगर प्रखंड के लहंग कर्मा गांव पहुंचा। शव पहुंचने की सूचना के बाद अक्षय ठाकुर के घर पर काफी संख्या में लोग पहुंचे।
निर्भया गैंगरेप और मर्डर केस के चारों दोषियों शुक्रवार को फांसी पर लटका ही दिया गया। शुक्रवार सुबह पांच बजे तिहाड़ जेल में चारों को फांसी दी गई। इससे पहले बुधवार को पवन जल्लाद ने चारों दोषियों के पुतलों को एक साथ फांसी दी थी। ट्रायल के दौरान जेल के डीजी सहित अन्य अधिकारी और डॉक्टरों की पूरी टीम मौजूद थी। यहां हम आपको सभी दोषियों में से एक अक्षय ठाकुर और उसके गुनाह के बारे में बताने जा रहे हैं।
अक्षय की पत्नी पुनीता सिंह ने हाल ही में बिहार के फैमिली कोर्ट में तलाक की अर्जी दाखिल की थी, जिसे उसे बचाने के हथकंडे के रूप में देखा गया था। पुनीता देवी ने कहा था कि मैं बलात्कारी की विधवा की पहचान के साथ जीना नहीं चाहती। गुरुवार को दिल्ली में पटियाला हाउस कोर्ट के बाहर उऩ्होंने कहा, ”मैं भी न्याय चाहती हूं। मुझे भी मार दो। मैं जीना नहीं चाहती। मेरा पति निर्दोष है। समाज उनके पीछे क्यों पड़ा है? हम इस उम्मीद के साथ जी रहे थे कि हमें न्याय मिलेगा लेकिन बीते सात साल से हम रोज मर रहे हैं।”
अपने आठ साल के बच्चे के साथ आई अक्षय की पत्नी ने जज से कहा कि मुझे न्याय नहीं मिल रहा। उन्होंने कहा, ”मुझे और मेरे बेटे को भी फांसी दे दो। हम कैसे जी पाएंगे? मैं भी न्याय चाहती हूं। मेरे और मेरे बेटे के बारे में तो सोचिए।” इसपर जज ने कहा, ”यहां निर्भया की मां भी मौजूद हैं। आप उनसे अपनी बात कहिए।” आदेश सुनाए जाने के बाद अक्षय की पत्नी चार महिला पुलिसकर्मियों और अपने वकील के साथ बाहर चली गईं।
निर्भया गैंगरेप के तीसरे दोषी अक्षय कुमार सिंह बिहार का रहने वाला था और अपनी पढ़ाई छोड़कर दिल्ली भाग आया था। अक्षय जेल में रहने के दौरान अपनी जान को खतरा बताया था और सुरक्षा की मांग की थी। अक्षय वारदात के पांच दिन बाद उसके गांव (बिहार) से पकड़ा गया था।