मृणालिनी साराभाई
(11 मई 1918 – 21 जनवरी 2016)
इतिहास के झरोखों से (Rashtra Pratham): मृणालिनी साराभाई का जन्म भारतीय राज्य केरल में 11 मई, 1918 को हुआ था। उनके पिता डॉ. स्वामीनाथन मद्रास हाईकोर्ट में बैरिस्टर थे। मां अम्मू स्वामीनाथन स्वतंत्रता सेनानी थीं, जो बाद में देश की पहली संसद की सदस्य भी रहीं। बहन लक्ष्मी सहगल सुभाषचंद्र बोस के साथ थीं। मृणालिनी ने बचपन का अधिकांश समय स्विट्जरलैंड में बिताया। यहां ‘डेलक्रूज स्कूल’ से उन्होंने पश्चिमी तकनीक से नृत्य कलाएं सीखीं। फिर उन्होंने रबींद्रनाथ टैगोर की देख-रेख में शांति निकेतन में शिक्षा ग्रहण की और यहीं से नृत्य उनकी जिंदगी बन गया।
उनके पति विक्रम साराभाई देश के सुप्रसिद्ध भौतिक वैज्ञानिक थे। उनकी बेटी मल्लिका साराभाई भी प्रसिद्ध नृत्यांगना और समाजसेवी हैं। मृणालिनी की बड़ी बहन लक्ष्मी सहगल स्वतंत्रता सेनानी के रूप में जानी जाती हैं। वे प्रसिद्ध क्रांतिकारी सुभाषचंद्र बोस की आज़ाद हिंद फ़ौज की महिला सेना झांसी रेजीमेंट की कमांडर इन चीफ़ थीं।
जिस दौर में कलाकार नृत्य की एक या दो शैली बड़ी मुश्किल से सीख पाते थे तब मृणालिनी साराभाई ने नृत्य के कई अलग-अलग शैलियों की बारीकियाँ सीखीं. मीनाक्षी सुदंरम पिल्लै और मुथुकुमार पिल्लै से भरतनाट्यम सीखा. उनके हर एक गुरू का अपनी अपनी कला में जबरदस्त योगदान था. विश्वविख्यात सितार वादक “पंडित रविशंकर” के भाई पंडित उदय शंकर के साथ भी काम किया. मृणालिनी साराभाई कुछ दिनों के लिए अमेरिका भी गईं और वहां जाकर “ड्रामाटिक आर्ट्स” की बारीकियां सीखीं।
मृणालिनी ने आगे चलकर Darpan Academy of Performing Arts नाम की संस्था का foundation अहमदाबाद में रखा| जिसका मुख्य उद्देश्य डांस, म्यूजिक, पुप्पेट्री की ट्रेनिंग देना था | सन 1992 में पद्म भूषण और सन 1965 में पद्म श्री से सम्मानित किया गया | मृणालिनी भारत की पहली महिला थी जिन्हें Diploma of French Archives का मैडल प्राप्त हुआ था |
नयी दिल्ली में इन्हें संगीत नाटक अकादमी फेलोशिप के अवार्ड से भी सम्मानित किया गया | इन्हें Ballet Folklorico of Mexico की कोरियोग्राफी के लिए मेक्सिकन सरकारके द्वारा गोल्ड मैडल दिया गया था |
मृणालिनी साराभाई की दर्पण अकादमी ऑफ़ परफोर्मिंग आर्ट्स ने 28 December 1998 में गोल्डन जुबिली मनाया |इसके साथ एक और अनाउंसमेंट हुई थी की क्लासिकल डांस के क्षेत्र में एक अहम् अवार्ड का नामकरण हुआ जिसका नाम मृणालिनी साराभाई के नाम पार रखा गया | वह है MRINALINI SARABHAI AWARD FOR CLASSICAL EXCELLENCE | केरला सरकार के तरफ से इन्हें 2013 में, Nishagandhi Puraskaram से सम्मानित किया गया है।