प्रसिद्ध विधिवेत्ता, अर्थशास्त्री और शिक्षाशास्त्री डॉ. जॉन मथाई

प्रसिद्ध अर्थशास्त्री और शिक्षाशास्त्री डॉ. जॉन मथाई

(10 जनवरी, 1886 – 1959)

इतिहास के झरोखों से (Rashtra Pratham):  प्रसिद्ध विधिवेत्ता, अर्थशास्त्री और शिक्षाशास्त्री डॉ. जॉन मथाई का जन्म 10 जनवरी, 1886  को तिरुवनंतपुरम के एक संपन्न परिवार में हुआ था। तिरुवनंतपुरम और मद्रास में शिक्षा प्राप्त करने के बाद उन्होंने ऑक्सफोर्ड और लंदन विश्वविद्यालय में अपनी शिक्षा पूरी की। वे लंदन विश्वविद्यालय के डी. एस-सी. थे।

1959 में डॉ. जॉन मथाई को भारत सरकार ने ‘पद्म विभूषण’ की उपाधि से सम्मानित किया।

डॉ. जॉन मथाई ने 1910 ई. से अगले आठ वर्ष तक मद्रास उच्च न्यायालय में वकालत की। फिर 5 वर्ष मद्रास प्रेसिडेंसी कॉलेज में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर रहे। 1925 में जॉन मथाई मद्रास लेजिस्लेटिव कौंसिल के सदस्य चुने गए। वे इंडियन टैरिफ बोर्ड के सदस्य रहने के बाद कॉमर्शियल इंटेलिजेंस तथा स्टेटिस्टिक्स के महानिदेशक बनाए गए।

1940 में डॉ. मथाई ने इस पद से अवकाश किया। इसके बाद उनका कार्यक्षेत्र और भी विकसित हुआ। वे ‘टाटासंस लिमिटेड’ के निदेशक बने। फिर केंद्र सरकार में परिवहन मंत्री और वित्त मंत्री बने। वित्त मंत्री पद पर आप लम्बे समय तक नहीं रहे। वहाँ से पद त्याग करके पुन: टाटासंस के निदेशक पद पर चले गए। 1955-56 में डॉ. मथाई स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया के अध्यक्ष रहे। आपको पहले मुम्बई विश्वविद्यालय का और उसके बाद केरल विश्वविद्यालय का उप-कुलपति बनाया गया।

डॉ. जॉन मथाई ने तीन महत्त्वपूर्ण पुस्तकों की रचना भी की-

  • ‘विलेज गवर्नमेंट इन ब्रिटिश इंडिया’
  • ‘ऐग्रिकल्चरल कोऑपरेशन इन इंडिया’
  • ‘एक्साइज़ एंड लिकर कंट्रोल’