शरन रानी
(९ अप्रैल १ ९ २ ९ – 2008 अप्रैल २०० April)
‘पद्मभूषण’ और ‘पद्मश्री’ से नवाजी जा चुकीं शरन रानी को पंडित जवाहरलाल नेहरू ने ‘भारत की सांस्कृतिक राजदूत’ कह कर सम्मानित किया था।
इतिहास के झरोखों से (Rashtra Pratham): शरन रानी ‘हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत’ की विद्वान और सुप्रसिद्ध सरोद वादक थीं। वे प्रथम महिला थीं, जिन्होंने सरोद जैसे मर्दाना साज को संपूर्ण ऊँचाई प्रदान की। इसी कारण उनके प्रशंसक उन्हें ‘सरोद रानी’ के नाम से पुकारते थे। शरन रानी का देहांत उनके अस्सीवें जन्मदिन से एक दिन पहले ही हो गया था।
दिल्ली में पैदा हुई सरोद साम्राज्ञी ने उस्ताद अलाउद्दीन खां और उस्ताद अली अकबर खां जैसे गुरुओं से सरोद की शिक्षा ग्रहण की थी। वह मैहर सेनिया घराने से ताल्लुक रखती थीं। पद्मभूषण से अलंकृत शरण रानी ने कई रागों की रचना की थी। वाद्य संगीत तथा सरोद वादन के क्षेत्र में वह देश की पहली महिला कलाकार थीं, जिन्होंने अमेरिका तथा ब्रिटेन की संगीत कंपनियों के साथ रिकार्डिंग कीं। उस समय लड़कियों के संगीत के क्षेत्र में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेने की मनाही थी, लेकिन प्रतिकूल वातावरण होने के बावजूद भी शरन रानी ने सरोद वादन में निपुणता हासिल की। शरन रानी 20वीं सदी की ‘म्यूजिक लीजेंड’ मानी जाती हैं।
पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू उन्हें ‘भारत की सांस्कृतिक दूत’ कहा करते थे। शरण रानी ने “दि डिवाइन सरोद : इट्स आ॓रिजिन एंटिक्विटी एंड डेवलपमेंट इन इंडिया सिंस बीसी सेकेंड सेंचुरी” किताब लिखी थीं। वे दुर्लभ वाद्यों का संग्रह करती थीं। उन्होंने ‘शरण रानी बाकलीवाल वीथिका’ की स्थापना भी की जिसमें ४५० शास्त्रीय संगीत के वाद्यों को प्रदर्शित किया गया है।
संगीत के प्रति उनके समर्पण के कारण ही उन्हें कई पुरस्कारों व सम्मानों से सम्मानित किया गया था। शरन रानी ने 1992 में सरोद के उद्भव, इतिहास और विकास पर एक किताब भी लिखी थी। उन्हें सरकार की ओर से ‘राष्ट्रीय कलाकार’, ‘साहित्य कला परिषद पुरस्कार’ और ‘राजीव गांधी राष्ट्रीय उत्कृष्टता पुरस्कार’ से नवाजा गया था। वर्ष 1998 में उनकी वीथिका से चार वाद्य लेकर डाक टिकट भी जारी किए गए थे।
पद्मश्री – 1968
साहित्य कला परिषद पुरस्कार – 1974
संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार – 1986
पद्मभूषण – 2000
लाइफ़टाइम अजीवमेंट अवार्ड – 2000
महाराणा मेवाड़ फ़ाउंडेशन अवार्ड – 2004