वेंकटरमन राधाकृष्णन
( 18 मई 1929- 3 मार्च 2011)
इतिहास के झरोखों से (Rashtra Pratham): वेंकटरमन राधाकृष्णन एक अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्ध अंतरिक्ष वैज्ञानिक और रॉयल स्वीडिश अकादमी ऑफ साइंसेस के सदस्य हैं। वे भारत के बंगलौर में स्थित रमन रिसर्च इंस्टिट्यूट में अवकाशप्राप्त प्रोफेसर रह चुके हैं जहां वे 1972 से 1994 तक निदेशक रहे थे।
प्रोफेसर राधाकृष्णन क़ा जन्म मद्रास के एक उपनगर, टोंडारीपेट में हुआ था। उनकी प्रारंभिक स्कूली शिक्षा मद्रास में हुई थी। उन्होंने श्रीमती फ्रांसिस-डोमिनिक राधाकृष्णन से विवाह की थी।
प्रोफेसर राधाकृष्णन ने विभिन्न समितियों में विभिन्न क्षमताओं में सेवा प्रदान की है। 1988-1994 के दौरान वे अंतरराष्ट्रीय खगोलीय संघ (इंटरनेशनल एस्ट्रोनोमिकल यूनियन) के उपाध्यक्ष रहे थे। उन्होंने इंटरनेशनल यूनियन ऑफ रेडियो साइंसेस के कमीशन जे (रेडियो एस्ट्रोनोमी) के अध्यक्ष (1981-1984) के रूप में काम किया है।
राधाकृष्णन आज दुनिया के सबसे सम्मानित रेडियो खगोलविदों में से एक हैं, इस मामले में वे दुनिया की सबसे बड़ी रेडियो दूरबीनों के साथ विभिन्न क्षमताओं में जुड़े रहे हैं। वे नीदरलैंड फाउंडेशन फॉर रेडियो एस्ट्रोनोमी की विदेशी सलाहकार समिति, ऑस्ट्रेलिया टेलीस्कोप नेशनल फैसिलिटी, सीएसआईआरओ, ऑस्ट्रेलिया, ग्रीन बैंक रेडियो टेलीस्कोप की सलाहकार समिति, नेशनल रेडियो एस्ट्रोनोमी ऑब्जरवेटरी, अमेरिका के सदस्य रहे हैं। वे गवर्निंग काउन्सिल ऑफ डा फिजिकल रिसर्च लेबोरेटरी, अहमदाबाद और इंटर-यूनिवर्सिटी सेंटर फॉर एस्ट्रोनोमी एंड एस्ट्रोफिजिक्स की साइंटिफिक एडवाइजरी कमिटी के सदस्य भी रहे हैं। 1973-1981 की अवधि के दौरान वे इंडियन नेशनल कमिटी फॉर एस्ट्रोनोमी के एक सदस्य रहे थे।
राधाकृष्णन को विभिन्न वैज्ञानिक संस्थाओं, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय दोनों के लिए चुना गया है। वह रॉयल स्वीडिश एकेडमी ऑफ साइंसेस और यू.एस. नेशनल साइंस एकेडमी दोनों के एक विदेशी फैलो रहे हैं। वह रॉयल एस्ट्रॉनॉमिकल सोसायटी के एक एसोसिएट और इंडियन एकेडमी ऑफ साइंसेज, बंगलौर में शिक्षावृतिभोगी रह चुके हैं
वे एक अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रशंसित खगोल भौतिकविद हैं और अत्यंत हल्के विमान तथा सेलबोट के अपने डिजाइन एवं निर्माण के लिए भी प्रसिद्ध हैं। प्रोफेसर वी. राधाकृष्णन ने अपनी बीएससी (प्रतिष्ठा) की डिग्री मैसूर विश्वविद्यालय से प्राप्त की है। उन्होंने अपना शोध का करियर इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ साइंस बंगलोर के भौतिकी विभाग में शुरू किया और उसके बाद विभिन्न विश्व प्रसिद्ध संस्थानों के अनुसंधान संकायों में शामिल रहे हैं। उन्होंने 1955-58 के दौरान चाल्मर्स यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलोजी, गोथेनबर्ग, स्वीडन में एक अनुसंधान सहायक के रूप में काम किया था। कॉमनवेल्थ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन, सिडनी, ऑस्ट्रेलिया के रेडियो फिजिक्स डिविजन में शुरुआत में एक सीनियर रिसर्च साइंटिस्ट और बाद में प्रिंसिपल रिसर्च साइंटिस्ट के रूप में जुड़ने से पहले वे कैलिफोर्निया इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलोजी, यूएसए के एक सीनियर रिसर्च फेलो रहे थे। वे 1972 में भारत लौटे और रमन रिसर्च इंस्टीट्यूट के निदेशक के रूप में इसके पुनर्निर्माण का जिम्मा अपने हाथों में लिया। रमन अनुसंधान संस्थान के निदेशक के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान 1972-1994 के बीच उन्होंने पल्सर खगोल विज्ञान, लिक्विड क्रिस्टल के क्षेत्रों और खगोल विज्ञान में अग्रिम पंक्ति के अनुसंधान के अन्य क्षेत्रों में काम करने के लिए एक अंतरराष्ट्रीय ख्याति अर्जित की. एम्स्टर्डम विश्वविद्यालय ने 1996 में प्रोफेसर राधाकृष्णन को सबसे प्रतिष्ठित डॉक्टर ओनोरिस कॉसा डिग्री से सम्मानित किया है।