चंद्रशेखर आजाद व गांधीजी की स्‍मृतियां देखने जरूर आएं

 18 मई को संग्रहालय दिवस है। इलाहाबाद संग्रहालय देश के कुल चार राष्ट्रीय संग्रहालयों में से एक है। यहां इतिहास का खजाना है। संग्रहालय में चंद्रशेखर आजाद की पिस्‍टल रखी है। यह वही पिस्‍टल है जिससे अंग्रेज कांपते थे। इसके अलावा गांधीजी का चरखा, नमक आंदोलन के दौरान समुद्र किनारे बनाए गए नमक का एक टुकड़ा भी यहां सुरक्षित रखा है। वहीं उनकी अंतिम यात्रा जिस वाहन से संगम ले जाई गई थी, वह भी यहां मौजूद है। अगर आप प्रयागराज आएं तो संग्रहालय जरूर पहुंचें।इलाहाबाद संग्रहालय देश के कुल चार राष्ट्रीय संग्रहालयों में एक है। भरहुत, भूमरा, जमसोत की प्राचीन मूर्तिशिल्प, कौशांबी की मृण्मूर्तियां (टेराकोट), राजस्थानी लघु चित्र, दुनिया के मशूहर चित्रकार निकोलस रोरिक और बंगाल कलाशैली के दुर्लभ चित्र, पं. जवाहर लाल नेहरू की आत्मकथा, जाने-माने हिंदी लेखकों की पांडुलिपियां, अमर शहीद चंद्रशेखर आजाद की पिस्तौल बम्तुल बुखारा और गांधी स्मृति वाहन इस संग्रहालय की शान हैं। मूर्ति कला संग्रह में अशोक स्तंभ शीर्ष (तीसरी शती ईसा पूर्व), दूसरी शती ईसा पूर्व के भरहुत स्तूप के 58 फलक, जिसमें जातक कथाओं के ²श्य, स्तंभा, बड़ेर और पत्थर की छतरी शामिल है विशेष उल्लेखनीय है। इस संग्रहालय में संरक्षित लघु चित्रों में राजस्थानी, पहाड़ी, मुगल और कंपनी शैली के चित्र भी हैं। इस संग्रहालय की शान वह अस्त्र-शस्त्र भी हैं जो 18वीं शताब्दी के बाद पिस्तौल, ढाल और तलवार हैं युद्धक इस्तेमाल होता था। देश की अमूल्य धरोहर गुप्तकालीन स्वर्ण सिक्के और महात्मा गांधी के नमक आंदोलन की यादें भी पर्यटकों का ध्यान खींचती हैं।