स्वास्थ्य समाचार : हम सभी लोगों की जिंदगी में कुछ ऐसी चीजें या बाते हैं, जिनको लेकर हम दिन-रात चिंतित रहते हैं। चिंता एक भावना है, जो हर व्यक्ति अपनी जिंदगी में कभी न कभी तो अनुभव करता ही है। चिंता अनुभव करना बेहद सामन्य बात है, लेकिन कई बार चीजें नियंत्रण के बाहर हो जाती है। चिंता की भावना जब नियंत्रण के बाहर हो जाती है तो लोगों की दैनिक गतिविधियों में बाधा डालने लगती हैं। ऐसे में चलिए आज चिंता पर विस्तार से बात करते हैं। इसी के साथ हम आज के हमारे इस आर्टिकल में चिंता की भावना को नियंत्रण में करने की कुछ टिप्स भी बताएंगे।
चिंता एक तरह की भावना है, जो आजकल बहुत ही आम हो गयी है। आमतौर पर लोग चिंता को तनाव से जोड़ देते हैं। लोगों को लगता है ये दोनों भावनाएं एक ही है, लेकिन ऐसा नहीं है। चिंता और तनाव दोनों अलग-अलग भावना है। एक्सपर्ट्स के अनुसार, तनाव अस्थाई होता है। ये थोड़ी देर रहने के बाद खत्म हो जाता है। जबकि चिंता एक लम्बे समय तक रहने वाली स्थायी भावना है। चिंता की शुरुआत तब होती है जब कोई व्यक्ति किसी बात को लेकर परेशान होता है और फिर खुद से उस बात पर सवाल-जवाब करने शुरू कर देता है। आमतौर पर ये सवाल-जवाब नकारात्मक होते हैं।