चीन से सटी सीमाओं पर भारतीय सेना अलर्ट मोड में

 चीन के अड़ियल रुख के कारण 13वें दौर की कोर कमांडर वार्ता में एक बार फिर लंबित मामलों का कोई समाधान नहीं निकाला जा सका। इस बीच भारतीय पक्ष ने पेट्रोलिंग प्वाइंट 15 समेत पांच स्थलों से सैनिकों की वापसी की रुकी हुई प्रक्रिया और देपसांग से जुड़े मामले वार्ता में उठाए, लेकिन चीनी पक्ष इससे सहमत नहीं हो सका और आगे बढ़ने की दिशा में कोई प्रस्ताव भी नहीं दे सका। दरअसल इस वार्ता में भारत ने साफ कर दिया था कि तनाव खत्म करने के लिए सभी जगहों पर पूरी तरह से सैनिकों की वापसी होनी चाहिए।भारत ने हाट स्प्रिंग इलाके से लेकर देपसांग और डेमचोक से चीन को वापस जाने को कहा, मगर चीन इसके लिए तैयार नहीं हुआ। इससे यह स्पष्ट हो गया है कि तनातनी का दौर अभी जारी रहेगा। दरअसल दोनों देशों के बीच हाल में हुई कोर कमांडर वार्ता से पहले ही चीन की हरकतों ने यह संदेश दे दिया था कि वह एलएसी पर तनाव खत्म करना नहीं चाहता है।इस वार्ता से एक सप्ताह पहले अरुणाचल प्रदेश के तवांग में भारतीय इलाके में चीनी सैनिकों की घुसपैठ की कोशिश के दौरान दोनों देशों की सेनाओं के बीच नोकझोंक हुई, लेकिन कमांडरों ने बातचीत करके टकराव को टाल दिया था। कुल मिलाकर सीमा विवाद को लेकर चीन अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा है। एक तरफ वह वार्ता का नाटक करता है, जबकि दूसरी तरफ अपनी ओर से घुसपैठ की घटनाओं को भी अंजाम देता है। घुसपैठ की एक हालिया घटना उत्तराखंड के बाराहोती सेक्टर से लगी सीमा की है। बीते दिनों इस इलाके में चीन के करीब 100 सैनिक एलएसी को पार करके पांच किमी अंदर तक घुस आए और करीब तीन घंटे तक वहां रहे। ये चीनी सैनिक घोड़ों पर सवार होकर इस इलाके में आए और लौटने से पहले एक पुल तथा कुछ अन्य आधारभूत ढांचे को भी तोड़ गए।